उत्तरकाशी (पीटीआई)। Uttarakhand Tunnel Collapse: उत्‍तराखंड के उत्‍तकाशी जिले में हाईवे रोड को कनेक्‍ट करने वाली टनल में 12 नवम्‍बर को पहाड़ ढहने से हादसा हो गया था, जिसमें फंसे 40 मजूदरों का रेस्‍क्‍यू करने के लिए बचावकर्मी लगातार काम कर रहे हैं। मलबे के बीच 6 मीटर लंबाई और 900 मिलीमीटर व्‍यास वाले पाइप डालकर मजूदरों को बाहर निकालने के काम में जुटे हैं। लेटेस्‍ट अपडेट के मुताबिक अब तक मलबे में ड्रिलिंग करके 22 मीटर तक पाइप डाले जा चुके हैं और यह आपेशन रात और दिन लगातार जारी है। बचाव के काम में NDRF और SDRF समेत आईटीबीपी के जवान भी जुटे हुए हैं। बता दें कि रेस्‍क्‍यू के लिए सबसे पहले आई ड्रिलिंग मशीन फेल हो गई थी, जिससे रेस्‍क्‍यू आपॅरेशन रुक गया था। फिर केंद्र सरकार ने 40 जिंदगियां बचाने के लिए नई हाईटेक अमेरिकन ड्रिलिंग मशीन को दिल्‍ली से उत्‍तरकाशी भिजवाया जिसके लिए एयरफोर्स के बड़े मालवाहक विमान को यूज किया गया। फिलहाल रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन जारी है और मलबे के बीच 5 पाइप लगाए जा चुके हैं। उम्‍मीद है कि बहुत जल्‍द ही इस पाइप की मदद से फंसे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सकेगा। एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशू मनीष खलखो ने कहा कि ऑपरेशन को पूरा करने के लिए हमें अभी 60 मीटर तक पाइप डालने हैं, जब तक कि मजदूर इसकी मदद से बाहर आने में सक्षम न हो जाएं।

फंसे हुए मजदूरों को पहुंचाया जा रहा खाना-पानी
रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन से जुड़ी अपडेट को लेकर नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड के पीआरओ जीएल नाथ ने बताया कि फंसे हुए श्रमिकों को भोजन उपलब्ध कराया गया है। वे ठीक हैं। ड्रिलिंग मशीन भी अच्छी तरह से काम कर रही है। हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें जल्द से जल्द बाहर निकाला जाए। ऑपरेशन से जुड़ी अपडेट के सवाल पर उन्‍होंने बताया कि पांचवां पाइप डाला जा रहा है। उत्तरकाशी के जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक रुहेला ने कहा कि फंसे हुए श्रमिक सुरक्षित हैं और उन्हें एयर कंप्रेस्ड पाइप के माध्यम से ऑक्सीजन, दवाएं और भोजन और पानी की आपूर्ति की जा रही है। साथ ही उनका मनोबल बनाए रखने के लिए उनसे लगातार बातचीत की जा रही है।

एनडीआरएफ और आईटीबीपी के जवान रात-दिन जुटे
इस रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन की देखरेख कर रहे एक्‍सपर्ट आदेश जैन ने बताया कि एक बुधवार रात दिल्ली से सुरंग में पहुंची अमेरिकन ड्रिलिंग मशीन को काम पर लगाया गया है, क्योंकि पहले लगाई गई मशीन केवल 45 मीटर तक मलबे तक घुसने की क्षमता रखती थी। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की ओर से बताया गया है कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ और आईटीबीपी सहित कई एजेंसियों के 165 कर्मचारी चौबीसों घंटे बचाव कार्य में लगे हुए हैं।

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