देहरादून(ब्यूरो) प्रेस ब्रीफिंग के दौरान एसएसपी अजय ङ्क्षसह ने बताया कि एसआईटी की ओर से 12 अक्टूबर को आरोपी हुमायूं परवेज निवासी मोहल्ला काजी सराय नगीना बिजनौर यूपी को अरेस्ट किया गया था। पुलिस की पूछताछ के बाद एसआईटी ने फ्राइडे को आरोपी देवराज तिवारी निवासी निकट मधुर विहार बंजारावाला को अरेस्ट किया। देवराज ने पुलिस को बताया कि 2014 में मदन मोहन शर्मा निवासी दूधली वर्तमान निवासी दिल्ली की तरफ से माजरा स्थित खसरा नंबर 594 व 500 के सिविल वाद को वह लड़ रहा था। वर्ष 2017 में आरोपी ने मदन मोहन शर्मा के वाद को वापस ले लिया। वह समीर कामयाब के गोल्डन फॉरेस्ट के केस को भी लड़ रहा था। एक बार समीर कामयाब हुमांयू परवेज को उसके चैंबर में लाया था। तब उसने बताया कि माजरा की एक जमीन है। जिसका केस वह मदन मोहन शर्मा दूधली वाले के नाम से लड़ रहा है।

टर्नर रोड पर हुआ जमीन का समझौता
आरोपी समीर से कहा कि इस केस में जीतने के चांस कम हैं। ऐसे में कोई ऐसा शख्स मिल जाए, जिसके नाम रजिस्ट्री हो तो काम पक्का हो जाएगा। आरोपी समीर की सहारनपुर में रजिस्ट्रार कार्यालय में जान पहचान थी। उसने वहां से जरूरी जानकारी जुटा ली और फिर कुछ दिन बाद आरोपी तिवारी, समीर, हुमायूं परवेज और समीर का साला शमशाद, समीर के किराए के घर सी-15 टर्नर रोड पर मिले। तय हुआ कि उक्त जमीन की रजिस्ट्री उसके मूल मालिक लाला सरणी मल से हुमायूं के पिता जलीलू रहमान और लाला मणि राम से आरोपी देवराज के पिता अर्जुन प्रसाद के नाम पर करवाई जाएगी। इसमें जो भी पैसा मिलेगा, आपस में बांट लेंगे।

रद्दी कागाज लाकर बनाई रजिस्ट्री
एसएसपी ने बताया कि समीर कामयाब पुराने पेपर लेने के लिए सहारनपुर गया। अब्दुल गनी कबाड़ी की दुकान से पुरानी रद्दी के कोरे पेपर लाया, जो रजिस्ट्री बनाने में काम आने थे। उसके बाद हुमायूं और समीर कामयाब सहारनपुर रिकॉर्ड रूम में फर्जी रजिस्ट्री लगाने से संबंधित जानकारी लेने सहारनपुर गए। जहां उन्होंने देव कुमार निवासी मोहल्ला नवीन नगर सहारनपुर, जो रिकॉर्ड रूम में काम करता था। पहले से ही समीर का परिचित था, से रजिस्ट्री बदलने के संबंध में जानकारी ली। देव कुमार ने बताया कि वर्ष 1958 की जिल्द का कोई इंडेक्स नहीं बना हुआ है। ऐसे में जल्दी से इसी वर्ष की फर्जी रजिस्ट्री बना कर तैयार कर लो। फर्जी रजिस्ट्री तैयार करने के लिए पेपर की बिल्कुल उसी साइज की कङ्क्षटग की गई। इसके बाद छपाई समीर कामयाब ने कार्ड वालों के यहां से करवाई गई। फर्जी रजिस्ट्री के पेपर को कॉफी व चाय के पानी में डुबाकर उन्हें सुखाते हुए उन पर प्रेस कर तैयार किया। फिर लाला सरणीमल एवं लाला मणिराम की 55 बीघा जमीन खसरा नंबर 594, 595 की वर्ष 1958 की फर्जी रजिस्ट्री तैयार कर डाली।

3 लाख रुपए पर बनी थी सहमति
फर्जी रजिस्ट्री तैयार होने के बाद उसे सहारनपुर के रिकॉर्ड रूम में जिल्द में चिपकाने के लिए 3 लाख रुपये देव कुमार निवासी सहारनपुर को देने पर सहमति बनी। पैसे व फर्जी रजिस्ट्री लेकर शमशाद गया। जिसने देव कुमार को 3 लाख रुपये व फर्जी रजिस्ट्री को चिपकाने के लिए दिए। दो-तीन दिन बाद उसकी नकल समीर कामयाब वकील अहमद और हुमायूं परवेज सहारनपुर से निकलवा कर ले आए। इसके बाद लाला सरणीमल व लाला मणिराम वाली 55 बीघा जमीन की पैमाइश करने के लिए हुमायूं की ओर से एसडीएम के यहां वाद दायर किया गया। एक फाइल हाई कोर्ट में चलाई गई। इस आधार पर हुमायूं का वाद खारिज कर दिया गया।
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