-स्टेट के ड्रीम प्रोजेक्ट 'कुपोषण मुक्ति हेतु गोद अभियान' को 30 दिन पूरे
-अब तक केवल दून में ही अडॉप्ट हुए 350 कुपोषित बच्चे
देहरादून, कुपोषण के शिकार 0-5 एज ग्रुप के बच्चों के सुधार व स्टेट के कुपोषिण मुक्ति के लिए स्टेट गवर्नमेंट ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट 'कुपोषण मुक्ति हेतु गोद अभियान' की हुई शुरूआत बीती 3 सितंबर से शुरू की। इस प्रोजेक्ट को 30 दिन हो चुके हैं। अभियान के तहत अब तक केवल दून में 350 बच्चे ही अडॉप्ट किए गए हैं। इनमें सीएम से लेकर मंत्रिगण, शासन से लेकर जिलों के अधिकारियों ने बच्चों का अडॉप्ट किए हैं। माना जा रहा है कि एडॉप्शन का अभियान आगे भी जारी रहेगा। इसके लिए अधिकारियों की अप्रोच पहुंचने का क्रम जारी हैं।
क्या कहा था सीएम ने
-स्टेट में क्लास 9 से 12 तक की गर्ल्स का हिमोग्लोबिन टेस्ट कराने के लिए कहा था।
-वर्ष 2022 तक प्रदेश की सभी आंगनबाड़ी सेंटर्स को पक्का भवन युक्त किया जाएगा।
-कहा था, जिन बच्चों को अडॉप्ट किया जा रहा, उनकी नियमित रहेगी निगरानी।
-बच्चे क्या खा रहे हैं, कैसे खा रहे हैं, हर छोटी से छोटी बात पर ध्यान देना होगा।
अभियान पर नजर
-बीती 3 सितंबर से शुरु हुआ था 'पोषण मुक्ति हेतु गोद अभियान'।
-अकेले दून में अब तक एडॉप्ट किए बच्चों की संख्या 30 दिनों में 350
-एडॉप्ट किए गए बच्चों में 110 अतिकुपोषित शामिल।
-जबकि कुपोषित बच्चों की संख्या 240 पहुंचे।
-स्टेट में चिन्हित किए गए थे अतिकोषित बच्चे 1600
-3 सिंतबर को शुभारंभ पर 20 अति कुपोषित बच्चों किए गए अडॉप्ट।
-सोशल एक्टिविस्ट व इंडस्ट्रियलिस्ट राकेश ऑबेराय ने अडॉप्ट किए 100 कुपोषित बच्चे।
माननीयों ने लिये बच्चे गोद
अनीशा--प्रेमचंद अग्रवाल, स्पीकर।
देवांशी--रघुनाथ सिंह चौहान, डिप्टी स्पीकर।
योगिता--त्रिवेंद्र सिंह रावत, सीएम।
लिमरा--सतपाल महाराज, पर्यटन मंत्री।
हमजा--डा। हरक सिंह रावत, वन मंत्री।
सिमरन--मदन कौशिक, शहरी विकास मंत्री।
फातिमा शशि--यशपाल आर्य, समाज कल्याण मंत्री।
तनुज--अरविंद पांडे, शिक्षा मंत्री।
वासु--सुबोध उनियाल, कृषि मंत्री।
अमन--डा। धन सिंह रावत, सहकारिता मंत्री।
निहारिका--रेखा आर्य, महिला सशक्तीकरण मंत्री।
निहारिका--सुनील उनियाल गामा, मेयर।
भूमिका--गणेश जोशी, विधायक मसूरी।
अति कुपोषित बच्चे
चकराता--4
कालसी--5
विकासनगर--9
सहसपुर--43
सिटी--35
रायपुर---5
डोईवाला---9
अधिकारियों ने इन बच्चों को लिया गोद::
कुपोषित बच्चे का नाम--अधिकारी।
राघव--उत्पल कुमार सिंह,सीएस।
अदिति--ओमप्रकाश, एसीएस।
नैनसी--राधा रतूड़ी, एसीएस।
लक्ष्मी--डीपी गैरोला, प्रमुख सचिव न्याय।
विनायक--मनीषा पंवार, प्रमुख सचिव।
आयुष--आनंद वर्धन, प्रमुख सचिव।
आन्या--भूपेंद्र कौर औलख, सचिव।
अरहम--आरके सुधांशु, आईटी सचिव।
अब्बुहुरेरा--अमित नेगी, सचिव आपदा।
तन्नू--आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव पशुपालन
नैना--नितेश झा, सचिव हेल्थ।
रहबर--राधिका झा, सचिव ऊर्जा।
उमर--शैलेश बगोली, सचिव शहरी विकास।
अभिषेक--सौजन्या, सचिव महिला सशक्तिकरण।
प्रियाशी--दिलीप जावलकर, सचिव टूरिज्म।
राज--हरबंश सिंह चुघ, सचिव ग्रामीण विकास।
पैरेंट्स करते हैं मजदूरी
डीपीओ कार्यालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक अतिकुपोषित की तुलना में कुपोषित बच्चों का एक माह के दौरान ज्यादा अडॉप्शन हुआ है। जबकि अडॉप्शन करने वालों में तमाम डिपार्टमेंट्स के अधिकारी शामिल दर्शाए गए हैं। आंकड़े बताते हैं कि जो बच्चे कुपोषित व अतिकुपोषित हैं, उनके पैरेंट्स अधिकतर मजदूरी का काम करते हैं। इनमें कुछ का कच्चा मकान व कच्चा शौचालय है। इन बच्चों के पैंरेंट्स की मासिक आय कम से कम 3 हजार से लेकर अधिकतम 10 हजार बताई गई है।
माननीयों के पास कुपोषित बच्चे
अडॉप्शन प्रोजेक्ट के तहत माननीयों व शासन के आलाधिकारियों ने जिन बच्चों को अडॉप्ट किया है, उनमें अधिकतर कुपोषित हैं। जबकि अतिकुपोषित बच्चों में डिपार्टमेंट्स के अधिकारी शामिल हैं। बताया गया है कि अडॉप्शन की प्रक्रिया दून से शुरू हुई थी, अब दूसरे जिलों में भी शुरुआत हो रही है।