- 14 जनवरी देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे उत्तराखंड के पहले शौर्य स्मारक का लोकार्पण
- पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पारिकर व पूर्व सीडीएस बिपिन रावत ने रखी थी नींव

देहरादून (ब्यूरो): आगामी 14 जनवरी को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इसका लोकार्पण करेंगे। इसे लेकर पूर्व सैनिकों में खासा उत्साह है। खास बात ये है कि इसकी शुरुआत वर्ष 2011 से हुई थी, जब पूर्व राज्यसभा सांसद तरुण विजय ने तत्कालीन डीएम को दो करोड़ रुपए सांसद निधि से आवंटित किए जाने का पत्र सौंपा था। जाहिर है कि वार मेमोरियल को फाइनट टच दिए जाने में एक दशक से ज्यादा का वक्त लग गया है।

निर्माण में लग गए 11 साल
इस वार मेमोरियल को तैयार करने में सबसे प्रबल भूमिका पूर्व सांसद तरुण विजय की रही। पूर्व सांसद तरुण विजय कहते हैं कि 2011 में उन्होंने उस वक्त अपनी सांसद निधि से डीएम को दो करोड़ रुपए आवंटित करने का पत्र सौंपा था। उसी दिन से वार मेमोरियल की शुरुआत हो चुकी है। लेकिन, इस शौर्य स्मारक के लिए जमीन का न मिल पाना सबसे बड़ा अड़ंगा साबित हुआ। लेकिन, तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पारिकर के प्रयासों के बाद आखिरकार गढ़ी कैंट चीड़ बाग पर मुहर लग गई। उन्होंने खुद आधारशिला रखने की तिथि 28 अप्रैल 2016 को निर्धारित कर दी। फिर क्या था, वार मेमोरियल के निर्माण का क्रम चलता रहा। पूर्व सांसद तरुण विजय कहते हैं कि ऐसे वार मेमोरियल की डिमांड यूपी के दौरान यानि 75 वर्षों से चली आ रही थी।

ये नजर आएंगे
-टैंक
-मिग-21
-नेवल शिप

इनकी रही खास भूमिका
-पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पारिकर
-पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत
-रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
-यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ
-उड़ीसा के सीएम नवीन पटनायक
-गढ़वाल राइफल के पूर्व सैन्य अधिकारी
-जीओसी सब एरिया कमांडेंट मेजर जनरल संजीव खत्री
-गढ़वाल राइफल के अधिकारी मेघना गिरीश
-स्टूडेंट्स व आम लोगों का योगदान

स्वामी नारायण संप्रदाय की भूमिका
पूर्व सांसद के अनुसार स्वामी नारायण संप्रदाय ने शिलापटें पर वीर शहीदों के नाम अंकित करने के लिए पूर्व व्ययभार उठाया।

वार मेमोरियल हाईलाइट्स
-यह पहला स्मारक बताया गया है, जिसमें गढ़वाली भाषा में शहीदों को नमन को खिली गई हैं कविता
-देवनागरी लिपि हिंदी में भी अंकित किए गए हैं शहीदों के नाम
-राष्ट्र कवियों की पंक्तियों से वॉर मैमोरियल सुसज्जित
-रामधारी सिंह दिनकर, कवि प्रदीप, बंकिम चंद्र चटर्जी, कुमार विश्वास व नरेंद्र सिंह नेगी की भी पंक्तियां शामिल

इनका रहा खास योगदान
मुगलों को हराने वाले बंदा सिंह बहादुर की 10वीं पीढ़ी ने कश्मीर से चिनार का वृक्ष मेमोरियल के लिए भेजा। इसके अलावा पूर्व नौ सेना अध्यक्ष डीके जोशी, पूर्व आर्मी चीफ बीपी मलिक, लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटा.) कृष्णामूर्ति आदि शामिल रहे हैं। जिन्होंने अपनी पेंशन से भी योगदान दिया। पूर्व सांसद तरुण विजय कहते हैं कि लोकार्पण के मौके पर तीनों सेनाओं का प्रतिनिधित्व देखने को मिलेगा।

उत्तराखंड का पहला वार मेमोरियल बनकर तैयार है। 14 जनवरी को देश के रक्षा मंत्री इस स्मारक का उद्घाटन कर राज्य की जनता को समर्पित करेंगे। इसके बाद उत्तराखंड में इतिहास में गौरवशाली दिन जुड़ जाएगा। उम्मीद है कि यह मेमोरियल युवाओं व आम लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा।
तरुण विजय, पूर्व सांसद

उत्तराखंड जैसे सैन्य बाहुल्य प्रदेश में वार मेमोरियल न होना, काफी कमी महसूस करा रहा था। लेकिन, अब सभी के प्रयासों से स्मारक बनकर तैयार है। विश्वास है कि मेमोरियल में जब स्कूलों के बच्चे शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे, देशभक्ति का जज्बा नजर आएगा।
सुबेदार मेजर (रिटा.) तीरथ सिंह रावत