देहरादून (ब्यूरो)। देहरादून सहारनपुर दिल्ली कोरिडोर बनाने का काम हाल में शुरू हुआ है। दावा किया जा रहा है कि इस कोरिडोर के बन जाने से देहरादून से दिल्ली की दूरी 3 घंटे में पूरी की जा सकेगी। इस कोरिडोर के लिए देहरादून सहारनपुर रोड पर मोहंड और आशारोड़ी में घने जंगल हैं। इन जंगलों को काटने पर दून की संस्था सिटीजन फॉर ग्रीन दून ने आपत्ति दर्ज करवाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से पेड़ काटने को हरी झंडी मिल गई है। इसके साथ उत्तराखंड की सीमा में 25 सौ और यूपी की सीमा में 11 हजार पेड़ काटने का काम शुरू हो गया है।

रोज कट रहे सैकड़ों पेड़
सुप्रीम कोर्ट से मिली अनुमति के बाद नेशनल हाईवे अब हर रोज सैकड़ों की संख्या में पेड़ काटे जा रहे हैं। यह काम इलेक्टि्रक आरी का इस्तेमाल किया जा है। इससे कुछ ही मिनट के भीतर साल का सैकड़ों के पुराने पेड़ों को एक के बाद एक गिराया जा रहा है।

गीत गाकर विरोध
साल के जंगल को काटे जाने के विरोध में ट्यूजडे को पर्यावरण पर काम करने वाले कुछ संगठनों के कार्यकर्ता आशारोड़ी पहुंचे और गीत गाकर पेड़ काटे जाने का विरोध किया। इन संगठनों ने फैसला किया कि अगले संख्या में पर्यावरण से ज्यादा से ज्यादा संगठनों को इस विरोध में शामिल करके फिर से प्रदर्शन किया जाएगा और चिपको आंदोलन किया जाएगा। सिटीजन फॉर ग्रीन दून के हिमांशु अरोड़ा ने सवाल उठाया कि आशारोड़ी तक वैसे में सड़क काफी चौड़ी है। दिल्ली से यहां तीन घंटे में पहुंच भी जाएं तो आगे शहर में जाम से निपटने की क्या व्यवस्था है, यह साफ किया जाना चाहिए। द अर्थ एंड क्लाइमेट इनीशिएटिव की डॉ। आंचल शर्मा ने बेहद बेहरमी से सैकड़ों साल पुराने पेड़ों को काटा जा रहा है, इस पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए।

बदले में पेड़ लगाना सिर्फ झूठ
सरकार की ओर से बार-बार सफाई दी जाती है कि जो पेड़ काटे जा रहे हैं, उनके बदले दूसरी जगह पेड़ लगाये जाएंगे। प्रदर्शनकारियों ने इसे झूठ बताया। उनका कहना था चारधाम रोड प्रोजेक्ट के मामले में भी यही कहा गया था, लेकिन अभी तक ये नहीं बताया गया कि इस परियोजना के तहत काटे गये हजारों पेड़ों के बदले कहां पेड़ लगाये गये। नियमानुसार जिस क्षेत्र में पेड़ काटे जाते हैं, बदले में वहीं पेड़ लगाये जाने चाहिए। एक्टिविस्ट इंद्रेश नौटियाल का कहना था कि यहां पेड़ नहीं जंगल काटा जा रहा है।
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