- कुंभ मेले में मिली थी प्रवर्तन ड्यूटी के लिए आधा दर्जन बाइक्स

- कर्मचारियों की कमी के चलते आरटीओ ऑफिस में खड़ी हैं बाइक्स

- सड़कों पर चैक पोस्टों में वाहनों की चेकिंग के लिए होना था प्रयोग

DEHRADUN: प्रवर्तन ड्यूटी के लिए मिले दुपहिया वाहन आरटीओ ऑफिस में पिछले कुछ सालों से धूल फांक रहे हैं। इनका प्रयोग सड़कों पर चेक पोस्टों में वाहनों की चेकिंग के लिए होना था, लेकिन कर्मचारियों की कमी के कारण फिलहाल इनका कोई यूज नहीं हो पा रहा है। ऐसे में कहा जा सकता है कि लाखों रुपए के यह दुपहिया वाहन आरटीओ ऑफिस में सफेद हाथी बने हुए हैं।

एक बाइक की कीमत म्0 हजार

दरअसल पूर्व में कुंभ मेले के दौरान संभागीय परिवहन कार्यालय को ट्रैफिक व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए यह बाइक्स मिली थी। स्टॉफ की कमी के कारण यह टू-व्हीलर व्हीकल यहां खड़ी हैं। हर एक बाइक की कीमत करीब म्0 हजार के करीब है।

टीटीओ की है भारी कमी

वर्तमान में सभी संभागीय कार्यालयों में टीटीओ यानि कि परिवहन कर अधिकारी सेकेंड की काफी संख्या में कमी चल रही है। कुछ समय पहले 7 टीटीओ का प्रमोशन हो गया है। ऐसे में पहले से ही पद खाली चल रहे हैं और अब और खाली हो गए हैं। देहरादून की बात करें तो वर्तमान में यहां म् से 7 पद टीटीओ सेकेंड के खाली चल रहे हैं। टीटीओ सेकेंड को ही यह बाइक्स ड्यूटी के लिए दी जानी थी। शहर के प्रमुख मार्गो पर बने चेक पोस्ट में ड्यूटी के दौरान यह बाइक्स काम आनी थी।

रोटेशन में कर रहे हैं काम

वर्तमान में देहरादून आरटीओ कार्यालय टीटीओ सेकेंड की कमी होने के कारण चेक पोस्टों पर चेकिंग के दौरान कर्मचारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आशारोड़ी, कुल्हाल और तिमली में बनी चेक पोस्ट पर रोटेशन के तहत कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जा रही है। मिनिमम हर चेक पोस्ट पर ब् से अधिक टीटीओ की ड्यूटी लगाई जाती है, लेकिन स्टॉफ की कमी के चलते ख् से फ् कर्मचारी ही ड्यूटी दे रहे हैं। आरटीओ के लिए भी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाना सिरदर्दी बना हुआ है, क्योंकि चेक पोस्टों पर ज्यादा कर्मचारियों को लगाते हैं फिर कार्यालय में कर्मचारियों की कमी हो जाती है। क्योंकि आरटीओ ऑफिस में डीएल बनवाने, टैक्स जमा करने, गाडि़यों की फिटनेस आदि कार्याें के लिए सैकड़ों लोग हर दिन पहुंचते हैं।

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पूर्व में कुंभ के दौरान यह दुपहिया वाहन हमें मिले थे, लेकिन स्टॉफ की कमी के कारण इनका प्रयोग नहीं हो पा रहा है।

-अरविंद कुमार पांडेय, एआरटीओ प्रवर्तन