- शहर के बीचों बीच है कैंट एरिया की गंदगी का पहाड़

- कैंट बोर्ड शीशमबाड़ी वेस्ट प्लांट नहीं भेज रहा कूड़ा

- खुद पका रहा बायो-कैपिंग से कूड़ा निस्तारण का ख्याली पुलाव

देहरादून।

दून कैंटोनमेंट बोर्ड की ओर से अब 106 साल पुराने फोड़े को नासूर बनाए जाने की तैयारी की जा रही है। प्रेमनगर के ठाकुरपुर में पांच एकड़ भूमि पर फेंके जा रहे कूड़े को शीशमबाड़ा ट्रीटमेंट प्लांट तक भेजने के लिए भले ही कैंट बोर्ड के पास बजट न हो लेकिन खुद इसकी बायो-कैपिंग कर निस्तारण का ख्याली पुलाव कैंट बोर्ड पका रहा है। कैंट बोर्ड शहर के बीचों-बीच गार्बेज ट्रीटमेंट प्लांट की प्लानिंग कर रहा है जिसका विरोध भी लोग कर रहे हैं।

106 साल से सड़ रहा कूड़ा

कैंट बोर्ड की ठाकुरपुर स्थित जमीन को कूड़ा डंपिंग जोन बनाया गया है। यहां वर्ष 1913 से कूड़ा डंप किया जाता रहा है। ऐसे में यहां 106 साल से कूड़ा सड़ रहा है। सिर्फ आसपास के लोग ही नहीं बल्कि एफआरआई सहित अन्य कैंपस का कूड़ा भी यहीं डंप करते हैं। अब कैंट बोर्ड की ओर से यहां कूडे़ की बायो-कैपिंग का ख्याली पुलाव पकाया जा रहा है। जबिक शीशमबाड़ा में पहले से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट संचालित हो रहा है, कैंट बोर्ड वहां कूड़ा भेजने को तैयार नहीं है।

शहर के बीच कैसे बनेगा प्लांट

कूड़ा और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट शहर के आउटर एरिया में होने चाहिए ताकि लोगों को दिक्कत का सामना न करना पड़े। लेकिन कैंट बोर्ड शहर के बीचों बीच ही कूड़ा और सीवर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने की प्लानिंग कर रहा है जो प्रैक्टिकल नहीं है। कैंट बोर्ड के अफसरों का कहना है कि कूड़े को कैपिंग मैथड से निस्तारित किया जाएगा फिर यहां सीवर और कूड़े का ट्रीटमेंट प्लांट तैयार किया जाएगा। बाकी बची जमीन पर प्लेग्राउंड डेवलप किया जाएगा। लेकिन ये प्लानिंग कैसे सफल होगी इसपर सवाल खड़े होते हैं।

बिना बजट बिग प्लानिंग

दून कैंट बोर्ड के पास शीशमबाड़ा में कूड़ा देने के लिए बजट नहीं है। दरअसल एक टन कूड़े के नगर निगम की ओर से 999 रुपये मांगे गए थे। ऐसे में बोर्ड अधिकारियों ने बजट नहीं होने की बात कहते हुए खुद ही कूड़े के निस्तारण की योजना तैयार कर ली। कैंट बोर्ड का कहना था कि लाखों टन कूड़े के एवज में करोड़ों रुपये देने से बेहतर है कि खुद का ही ट्रीटमेंट प्लांट बना लिया जाए।

सीवर लाइन की प्लानिंग

प्रेमनगर क्षेत्र में सीवर लाइन बिछाए जाने की कैंट बोर्ड की प्लानिंग हो गई है। इसके लिए ट्रीटमेंट प्लांट के लिए भी बोर्ड के पास भूमि नहीं है। ऐसे में ठाकुरपुर के कूड़े वाली जगह को ही कैंट बोर्ड अधिकारियों ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए चुना है लेकिन यहां लोगों का विरोध रहा तो सीवर योजना का काम भी अधर में लटक सकता है।

कूड़े की बायो-कैपिंग होगी। जिससे की वर्षो पुरानी समस्या का निदान हो सकेगा। बायो-कैपिंग साइंटिफिक तरीके से की जाएगी। इसके बाद अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही कूड़े और सीवर के निस्तारण की समस्या दूर हो सकेगी।

- तनु जैन, सीईओ, दून कैंटोनमेंट बोर्ड