आई टॉक--

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चुनावी माहौल है। उथल-पुथल मची हुई है। ज्यादा दिन नहीं हुए, जब सीएम हरीश रावत ने बडे़ सियासी संग्राम को झेला। उस वक्त भी अपनों ने दगा दिया और इस वक्त भी अपनों की ही चुनौती सामने है। केंद्र में तब भी सीएम हरीश रावत थे और अब भी वही हैं। चाहे बीजेपी के हमलों की बात हो या फिर कांग्रेस-पीडीएफ के कसैले होते रिश्तों की। घूम फिरकर बात सीएम हरीश रावत पर आकर टिकती है। बाहरी-भीतरी हर तरह की चुनौती पर सीएम क्या सोचते हैं, वह उनकी एक लाइन की टिप्पणी से साफ हो जाता है कि उन्हें सीन से हटाने का षडयंत्र हो रहा है। अपने कार्यकाल, उपलब्धियों, कमियों, चुनावी चुनौतियों, पीडीएफ-कांग्रेस विवाद आदि मसलों पर पेश है आई नेक्स्ट से सीएम की एक्सक्लूसिव बातचीत।

-आपका कार्यकाल अब खत्म होने को है। कितने नंबर देंगे खुद को?

-यदि आप 2014 को बेस ईयर मानें, तो मैं कह सकता हूं कि हमने कई आश्चर्यजनक उपलब्धियां हासिल की हैं। ये मामूली बात नहीं कि दो हजार से ज्यादा ऐसी पहल की गई हैं, जिनका संबंध राज्य बनने की अवधारणा से सीधे जुड़ा है। उपेक्षित इलाकों पर ज्यादा फोकस किया गया है। कोई व्यक्ति ऐसा नहीं कह सकता कि उसके लिए कोई सरकारी योजना नहीं है। हमने पिछड़ों, दलितों और कमजोर लोगों को केंद्र में लाने के लिए खास प्रयास किए हैं। 24 घंटे बिजली हो या फिर शिक्षा में गुणात्मक सुधार। बहुत सी उपलब्धियां हैं।

-राज्य बनने के बाद ऐसा कभी नहीं हुआ, कि सत्तारूढ़ दल की वापसी हो पाई हो। आप फिर भी वापसी को लेकर आश्वस्त हैं।

-जी हां, ऐसा है। अक्सर देखा गया है, कि जिस इलाके की उपेक्षा हुई, उसने सरकारों को पलटा। खास तौर पर सीमांत क्षेत्रों के लोगों ने। चमोली और पिथौरागढ़ जैसे जिलों का मैं खास तौर पर जिक्र करना चाहता हूं। मेरी सरकार ने इन इलाकों के लिए वो विकास योजनाएं चलाई हैं जो चाहिए थीं। अब वे लोग संतुष्ट हैं। अब तक जो भी सरकारें रहीं उन्होंने फोकस कुछ खास क्षेत्रों में किया जहां विकास कार्य पहले ही ठीक हुए हैं। मैंने जो दिशा चुनी है, मैं मानता हूं कि वो ठीक चुनी है और उस पर ही मैं बढ़ रहा हूं। लोग उसे किस रूप में लेते हैं, मैं कह नहीं सकता। मैं खुद को बहुत सामान्य इंसान मानता हूं।

-सियासी संग्राम के बाद सीबीआई ने आपके खिलाफ जांच शुरू की। आज-कल सब कुछ शांत है। आने वाले दिनों को लेकर कोई आशंका?

-बिलकुलआज भी मेरी सरकार को गिराने की साजिश हो रही है। मुझे सीन से हटाने की कोशिश हो रही है।

-कौन लोग हैं, जो ऐसा कर रहे हैं?

-एक क्लिक काम कर रहा है। बीजेपी के ज्यादातर लोगों का राजनीतिक एजेंडा हो सकता है, लेकिन कुछ लोगों के हित पूरे नहीं हो रहे हैं, इसलिए वे ये सब कर रहे हैं।

-इनमें आपके अपने लोग भी तो शामिल हैं।

-जाने दीजिए, मैं सब अच्छी तरह से जानता हूं। हमारे राज्य में दलाली की प्रवृत्ति इतनी बढ़ गई है कि ऐसा लगता नहीं कि ये राज्य आंदोलन से उपजा है। ऐसा सिस्टम अन्य राज्यों में 40-50 साल बाद डेवलप हुआ, मगर हमारे यहां ये काम राज्य बनते ही शुरू हो गया। हर कोई अपने निजी हित साधना चाहता है।

-आपकी पार्टी के लोग आपकी मुखालफत करते हैं। पीडीएफ से रिश्तों के बहाने निशाना आप पर ही होता है।

-मैं जानता हूं कि कौन सी आवाज क्यों उठ रही है। मैं कारण भी जानता हूं और निवारण भी। मेरा मानना है कि व्यापक हित लेकर यदि हम काम करेंगे तो कांग्रेस को कोई नहीं हरा सकता।

-विधानसभा चुनाव में जाहिर तौर पर आप कांग्रेस का चेहरा होंगे। ये जानना सभी चाहते हैं कि आप चुनाव कहां से लड़ेंगे।

-देखिए, अभी तो मेरा ध्यान अक्टूबर तक ज्यादा से ज्यादा बजट के इस्तेमाल पर है। पहले ही काफी देर हो चुकी है। रही बात चुनाव की, तो पार्टी हाईकमान यदि नेतृत्व करने के लिए कहेगा तो चुनाव जरूर लडूं़गा।

-आप सीधे चुनाव लडे़ंगे या उपचुनाव में उतरेंगे।

-बहुत सारी बातें अक्टूबर अंत में होंगी। मुझे नेतृत्व करने के लिए कहा जाएगा, तो मैं सीधे चुनाव में उतरना पसंद करूंगा।

-इस बार फिर धारचूला या फिर कोई और सीट?

-देखिए मैं कह चुका हूं, अभी बहुत सी बातें साफ होनी बाकी है। अक्टूबर में सीट की बात।

-आपसे बहुत उम्मीद थी कि आप राज्य को लोकायुक्त देंगे, मगर फिलहाल नहीं दे पाए। क्या चुनाव से पहले लोकायुक्त मिल जाएगा।

-हम तो लोकायुक्त दे चुके हैं। राज्यपाल ने रोका है। हमने लोकायुक्त के संबंध में जो काम करना था, वो कर दिया है। राजभवन ने उसमें खामियां बताईं तो उन्हें दूर कर फिर संशोधित भेज दिया। निगाहें राजभवन पर हैं।