- प्रमुख छात्र संगठनों को मिलता है राजनैतिक संरक्षण

- सड़क पर बहता खूनी खेल राजनीति संरक्षण का नतीजा

- राजनैतिक दबाव में पुलिस भी आई बैकफुट पर

DEHRADUN : धम धम धड़म धड़ैया रे, सबसे बड़े लड़ैया रे बॉलीवुड फिल्म ओंकारा का यह गीत और इसकी कहानी तो आपको याद ही होगी। राजनीतिक दलों के संरक्षण में सिटी में चल रहे खूनी खेल की कहानी इस फिल्म की कहानी से जुदा नहीं है। सिटी में पिछले चार दिनों से छात्र संगठन खुलेआम सड़कों पर खूनी खेल खेल रहे हैं, लेकिन पुलिस राजनैतिक दलों के दबाव में आकर हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है।

प्रतिष्ठा का सवाल

स्टेट के सबसे बड़े कॉलेज डीएवी (पीजी) कॉलेज की छात्र राजनीति से कई अच्छे नेताओं ने अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत की है, लेकिन अब हाल जुदा हैं। कॉलेज से अच्छे नेता के बजाय गुंडे निकल रहे हैं, जिनका छात्र राजनीति से दूर तक कोई नाता नहीं है। छात्र हित की रक्षा करना तो दूर की बात है। इन्हें परवाह है तो सिर्फ राजनैतिक दलों की प्रतिष्ठा की है। इस प्रतिष्ठा पर कोई उंगली उठाए यह इन्हें बर्दास्त नहीं है। इसके लिए ये लोग खूनी खेल खेलने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं। पिछले चार दिनों से सिटी में खेला जा रहा खूनी खेल इसका नतीजा है।

राजनैतिक दलों का संरक्षण

असल में देश के प्रमुख दो राजनैतिक दल कांग्रेस व भाजपा स्टेट में हावी हैं। वर्तमान में कांग्रेस की स्टेट में सरकार है, जबकि भाजपा विपक्ष की भूमिका में है। इन्हीं दो दलों के इर्द गिर्द डीएवी की छात्र राजनीति घूमती है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) भाजपा का छात्र संगठन है। वहीं नेशनल स्टूडेंड यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) कांग्रेस समर्थित है। साफ है, दोनों प्रमुख दलों के नेता अपने-अपने गुटों को संरक्षण प्रदान करते हैं। इनके लिए यह मायने नहीं रखता कि उनके गुट का छात्र नेता कर क्या कर रहा है। क्योंकि यह उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ा है।

कई बार भिड़ चुके छात्र

पिछले चार दिन में कई बार एनएसयूआई और एबीवीपी के छात्र नेता आपस में भिड़ चुके हैं। संडे नाइट से शुरू हुए इस खूनी संघर्ष के बाद पुलिस भी चौकन्नी है। यही कारण है कि मंडे से डीएवी कॉलेज में पीएसी तैनात कर दी गई, लेकिन कॉलेज के बाहर मंडे नाइट को ओल्ड सर्वे रोड पर खूनी संघर्ष हुआ। जहां एनएसयूआई छात्र नेताओं ने घर में घुसकर एबीवीपी छात्र नेता को बुरी तरह पीट दिया। गंभीर हालत में उसे दून अस्पताल में दाखिल कराया गया, जहां उसके शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर 70 टांके लगाए गए। अकेले सिर पर ही ब्0 से अधिक टांके लगाए गए हैं।

क्या रुकेगा खूनी खेल?

ऐसा नहीं है कि पुलिस को इस बात की जानकारी न हो। सिटी के अलग-अलग थाने में मारपीट और हत्या के प्रयास में पांच मुकदमें दर्ज किए जा चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी भी मामले में गिरफ्तार न होना साफ दर्शाती है कि पुलिस दबाव में है। क्योंकि जो लोग आरोपी हैं वे कहीं न कहीं उन दलों से जुड़े हैं जो स्टेट की राजनीति से संबंधित हैं। यही कारण है कि पुलिस मामले में बैकफुट पर है। अब देखना यह है कि प्रतिष्ठा के लिए चल रहे इस खूनी खेल को रोकने के लिए पुलिस आरोपियों के गिरफ्तार करती है, तो या फिर सड़कों पर यह खूनी खेल यूं ही जारी रहता है।

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मारपीट के मामले में कई लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। जिसमें कुछ छात्र नेता भी शामिल हैं। उनकी गिरफ्तारी के लिए उनके संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है। उम्मीद है कि जल्द आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

-अजय रौतेला, एसएसपी

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छात्र गुटों के बीच गोली तक चली

यह पहली बार नहीं है जब छात्र नेता सड़कों पर खूनी खेल खेल रहे हैं। इससे पहले भी छात्र गुटों के बीच गोली तक चल चुकी है। वर्ष क्ख्-क्फ् में आईएमए गेट पर छात्र नेता शंकर रावत को गोली मारी गई थी। क्फ्-क्ब् में एनएसयूआई के कार्यकर्ता आपस में भिड़े थे, जिसमें दर्जनों छात्र घायल हुए थे। इसके अलग गत वर्ष एनएसयूआई से अलग हुए छात्र नेता नवनीत को राजीवनगर में दिनदहाड़े तीन गोलियां मारी गई थी। उन्हें सीएमआई अस्पताल में दाखिल कराया गया था। अब फिर से छात्र चुनाव की आहट मिलते ही छात्र नेता आपस में भिड़ने लगे हैं।

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अज्ञात हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग

एबीवीपी के छात्र नेता राहुल राय पर आत्मघाती हमले किए जाने के आरोपी एनएसयूआई नेता विनीत भट्ट, आलोक, भुवन कंडारी सहित दो दर्जन अज्ञात हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने एसएसपी को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में उन्होंने बताया कि आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं। बावजूद पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर रही है। आरोप लगाया कि पुलिस सत्ता पक्ष के दबाव में आकर गिरफ्तारी करने से बच रही है। चेताया कि जल्द गिरफ्तारी नहीं की गई तो आंदोलन किया जाएगा। मामले में एसएसपी अजय रौतेला ने उचित कार्रवाई की आश्वासन दिया है। ज्ञापन देने वालों में छात्र नेता रमेश गडि़या, रमाकांत, सिद्धार्थ राणा, आशीष बहुगुणा सहित दर्जनों कार्यकर्ता मौजूद थे।