- देहरादून पहुंचे केंद्रीय भाजपा के रणनीतिकार रात में ही दिल्ली वापस लौटे

- बीजेपी द्वारा तीन कांग्रेसी विधायकों से संपर्क साधने की खबरें

DEHRADUN: प्रदेश में चल रही सियासी उठापटक के बीच सुप्रीम कोर्ट द्वारा फ्लोर टेस्ट के बारे में केंद्र से पूछे जाने से एक बार फिर सरकार बनने की सुगबुगाहट महसूस होने लगी है। इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए बीजेपी के दो रणनीतिकार अचानक दून पहुंचे और गुपचुप बैठक के बाद देर रात उनकी दिल्ली वापसी की खबरें है। वहीं, कांग्रेस ने भी अपने व पीडीएफ के विधायकों पर घेराबंदी शुरू कर दी है।

हरीश रावत के आस-पास रहेंगे विधायक

राज्य वर्तमान समय में सियासी संकट के दौर से गुजर रहा है। कांग्रेस के नौ विधायकों के बागी तेवर के बाद सदन में कांग्रेस के विधायकों के संख्याबल में अंतर आया है। बागी विधायकों को छोड़ दिया जाए तो भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई है। उसके पास भाजपा के पास अभी ख्8 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास ख्7 विधायक हैं। इसमें विधानसभा अध्यक्ष भी शामिल हैं, जबकि एक मनोनीत विधायक भी कांग्रेस कोटे से हैं। इसके अलावा छह विधायक पीडीएफ के हैं। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से फ्लोर टेस्ट के बारे में पूछा और केंद्र ने दो दिन का वक्ता मांगा तो फिर से फ्लोर टेस्ट की संभावनाओं को देखते हुए भाजपा व कांग्रेस ने अपने विधायकों की घेराबंदी शुरू कर दी है। मंगलवार को बीजेपी के दो केंद्रीय नेता आनन-फानन में दून पहुंचे और उनके रात को ही वापस लौटने की खबरें हैं। वहीं, कांग्रेस नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि फ्लोर टेस्ट की संभावनाओं को देखते हुए विधायकों की फिर से घेराबंदी शुरू करने के साथ ही सभी विधायकों को निवर्तमान सीएम हरीश रावत के आस-पास रहने के लिए कहा गया है

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तो तीन विधायकों से भाजपा ने किया संपर्क

भाजपा के विश्वस्त सूत्रों पर भरोसा किया जाए तो भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने पीडीएफ के एक विधायक के अलावा कांग्रेस के दो विधायकों से संपर्क किया। हालांकि पीडीएफ के विधायक ने बीजेपी के किसी नेता से बातचीत होने की खबरों का खंडन किया है।

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पीडीएफ पर फिर िटकी नजरें

कांग्रेस के बागी विधायक फ्लोर टेस्ट में शामिल होंगे या नहीं, इस पर अभी अदालत का फैसला आना बाकी है, लेकिन फ्लोर टेस्ट होने की संभावनाओं को देखते हुए निर्दलीय, यूकेडी और बसपा विधायकों का गुट, यानी पीडीएफ की भूमिका अहम मानी जा रही है। हालांकि पीडीएफ के विधायक पहले से ही कांग्रेस के साथ होने की बात कह रहे हैं।