- अबकी बार 10 परसेंट टूरिस्ट ही पहुंचे स्टेट में, आगे भी उम्मीद कम
- गत वर्ष चारधाम यात्रा पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या रही 34 लाख, अबकी बार 37 हजार
देहरादून, शायद ही ऐसा पहला मौका हो जब उत्तराखंड में पर्यटकों की आमद न के बराबर रह गई हो। वर्ष 2013 की आपदा में भी ऐसा असर देखने को नहीं मिला। हालांकि अब सरकार ने कई रियायतें दे दी हैं। लेकिन पीक सीजन गुजरने के करीब है। अब पर्यटकों की आवाजाही बढ़ पाएगी या नहीं, इस पर किसी के पास कोई जवाब नहीं है। लेकिन इस डाउनफाल से टूरिज्म व्यवसाय से जुड़े तमाम कारोबार की मानो कमर टूट गई है। ऐसा ही देखने को मिला। इसकी सबसे बड़ी वजह रही कोविड-19 का असर।
कोरोना की जबरदस्त मार
गत वर्षो में यह वह वक्त हुआ करता था, जब पर्यटकों की आमद से टूरिस्ट प्लेसेस के अलावा चारधाम यात्रा मार्ग ठसाठस हुआ करते थे। लेकिन दुनियाभर के फैले कोरोना संक्रमण का जबरदस्त असर इस बार उत्तराखंड में देखने को मिला। जानकार बताते हैं कि उत्तराखंड के इतिहास में ऐसा पहली मर्तबा देखने को मिला होगा, जब न पर्यटक आ पाए और न वे हिम्मत जुटा पा रहे हैं। टूर एंड ट्रेवल एजेंसियों के अलावा होटल, रेस्टोरेंट व सरकारी बंगलों तक में पर्यटकों की कोई क्वेरीज नहीं आ रही है। हाल ऐसा ही चारधाम यात्रा का भी है। हालांकि चारधाम यात्रा के लिए देवस्थानम् बोर्ड के आंकड़े बताते हैं कि 37 हजार से अधिक यात्रियों ने गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बदरीनाथ व हेमकुंड साहिब के दर्शन किए हैं। जबकि गत वर्ष इन पांचों धामों में ये आंकड़ा 34 लाख के पार पहुंच चुका था। अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना का असर किस कदर पर्यटन व तीर्थाटन पर पड़ा है।
होटल, टूर एंड ट्रेवल कारोबार भी चौपट
बात जब पर्यटन की हो रही तो पर्यटन की हो रही है तो पर्यटन से जुड़े कारोबार भी चौपट रहे हैं। उसमें चाहे होटल हो, टूर एंड ट्रेवल हो या फिर अन्य। हर किसी को नुकसान उठा पड़ा है। हालात ये हैं कि टूर एंड ट्रेवल से जुड़े लोग अपनी गाडि़यों की किश्त तक नहीं जुटा पाए हैं। दून में अकेले 20-25 टूर एंड ट्रेवल एंजेसियों संचालित होती थी। जिनसे हजारों लोग और उनकी फैमिली की आजीविका जुड़ी हुई थी। कंफर्ट टूर एंड ट्रेवल के ओनर राजीव वर्मा कहते हैं कि सरकार को टूरिस्ट को अट्रैक्ट करने की रणनीति तैयार करनी होगी। अब एक-दो महीनों विंटर सीजन पर निगाहें टिकी हुई हैं। उत्तराखंड होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप साहनी कहते हैं कि इस वर्ष ये दौर बेहद नाजुक हालातों से गुजरा। कहते हैं कि इस वर्ष के आखिर तक 10परसेंट तक टूरिस्ट भी बमुश्किल रिकॉर्ड किए जा सकते हैं। उनका कहना है कि होटल कारोबार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए सरकार को हाउस टैक्स, बिजली-पानी के बिल में छूट, बार लाइसेंस फीस में एक वर्ष तक रिलेक्सेशन देना चाहिए। इसके अलावा बैंकों के लोन का 2 वर्ष तक सरकार को इंट्रेस्ट वहन करने के साथ ही होटल कर्मचारियों की सैलरी आधी सरकार को देना चाहिए।
आंकड़ों पर एक नजर
-2018 में कुल पहुंचने वाले टूरिस्ट--36852204
-2019 में पहुंचने वाले कुछ टूरिस्ट---39225740
-2018 में पहुंचे फॉरेनर टूरिस्ट--154526
-2019 में पहुंचने वाले फॉरेनर टूरिस्ट--158964
-2018 में डोमेस्टिक टूरिस्ट की संख्या--36697678
-2019 में उत्तराखंड पहुंचे डोमेस्टिक टूरिस्ट---39066776
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ये हैं टूरिस्ट प्लेसेस
देहरादून, ऋषिकेश, मसूरी, पौड़ी, श्रीनगर, कोटद्वारर(स्वर्गाश्रम, चीला), रुद्रप्रयागग(केदारनाथ को छोड़करर), गोपेश्वरर(नंदप्रयाग, भैकलताल, मुंदोली, थराली), जोशीमठठ(गोविंदघाट व घांघरिया सहितत), बद्रीनाथ, औली, हेमकुंड साहिब, वैली ऑफ फ्लावर, टिहरी, उत्तरकाशी (हर्षिल गंगनानी सहितत), गंगोत्री, यमुनोत्री, हरिद्वार, अल्मोड़ा, रानीखेत, कौसानी, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चंपावत, नैनीताल, काठगोदाम, कार्बेट नेशनल पार्क व उधमसिंहनगर आदि।
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::2013 से 2019 तक चारधाम व हेमकुंड साहिब पहुंचे यात्री::
2013--10,23,403
2014--275706
2015--803956
2016--1404707
2017--2192647
2018--2622325
2019--3240882
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::2013 से 2019 तक हेमकुंड पहुंचे यात्री::
2013--164670
2014--57382
2015--68573
2016--108838
2017--129964
2018--159103
2019--240133
::इस वर्ष चारधाम पहुंचने वाले यात्री::
इस बार चारधाम यात्रा पर पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या करीब 40 हजार के पास पहुंच चुकी हैं। आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा बद्रीनाथ धाम, उसके बाद केदारनाथ धाम शामिल है। हेमकुंड साहिब में भी तीन हजार से अधिक यात्री दर्शनों के लिए पहुंच चुके हैं।
टूरिस्ट आने चाह रहे हैं, लेकिन कोरोना का डर पर्यटकों में बना हुआ है। वैसे भी राज्य में पीक सीजन निकल चुका है। अब कोई क्वेरीज तक नहीं आ रही हैं। गवर्नमेंट को टूरिस्ट को अट्रैक्ट करने के लिए रणनीति बनानी होगी। टूर एंड ट्रेवल से जुड़े लोग व उनके परिवारों आजीविका का संकट से जूझ रहे हैं।
-राजीव वर्मा, ओनर, कंफर्ट टूर एंड ट्रैवल।
इस वर्ष के समाप्ति तक 10 परसेंट टूरिस्ट भी संभव नहीं है। मुश्किल दौर में सरकार को होटल कारोबारियों की हेल्प के आगे आना चाहिए। हाउस टैक्स, बिजली, पानी में छूट देनी चाहिए। कर्मचारियों की भी आधी सैलरी देने पर सरकार को विचार करना चाहिए।
-संदीप साहनी, प्रेसीडेंट, उत्तराखंड होटल एसोसिएशन।