बाजार मांगे बूस्टर डोज

- बड़े होटल्स को 5 से 8 करोड़ तो छोटे होटल को 2 से 4 करोड़ रुपये तक का नुकसान

- 75 परसेंट तक स्टाफ को घर भेज दिया ज्यादातर होटल्स ने

देहरादून,

टूरिस्ट स्टेट होने के नाते होटल्स इंडस्ट्री दून की रीढ़ मानी जा सकती है। लेकिन, कोविड बंदी के कारण यह रीढ़ अब टूटने के कगार पर पहुंच चुकी है। अब तक दून में होटल इंडस्ट्र को एक अरब से ज्यादा का नुकसान हो चुका है और आने वाले दिनों में भी कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है।

200 से ज्यादा होटल

होटल एसोसिएशन से जड़े और उनसे अलग कुल होटल्स का अनुमान लगाया जाए तो दून में 200 से ज्यादा छोटे बड़े होटल हैं। बड़े होटल्स को पिछले वर्ष मार्च से लेकर अब तक 5 से 8 करोड़ तक का नुकसान हुआ है। जबकि छोटे होटल्स को 2 से 4 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। मोटे तौर पर अब तक कुल लॉस की सीमा 1 अरब के पार पहुंचने का अनुमान है।

हजारों लोग बेरोजगार

होटल पूरी तरह बंद होने के कारण अकेले देहरादून में हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं। ज्यादातर होटल्स ने 75 परसेंट तक स्टाफ को घर भेज दिया है। ज्यादातर बड़े होटल्स में 25 से 27 परसेंट स्टाफ को ही रखा गया है। छोटे होटल्स ने तो केवल 10 परसेंट तक कर्मचारी ही रखे हैं। बड़े होटल्स में कुल स्टाफ की संख्या 80 से 90 तक होती है, जबकि छोटे होटल्स में भी 40 से 50 स्टाफ होता है। इस हिसाब से दून में करीब 15 हजार लोग डायरेक्ट होटल इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं। इनमें से ज्यादातर अब बेरोजगार हैं।

फिलहाल निराशा

होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों को आने वाले दिनों में कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। उनका कहना है कि ये सीजन राज्य में टूरिस्ट सीजन होता है। एक या दो हफ्ते बाद यदि कफ्र्यू खुल भी गया तो टूरिस्ट तुरंत नहीं आएंगे। जब तक टूरिस्ट की आमद बढ़ेगी तब तक बरसात का सीजन शुरू हो जाएगा। इसके बाद हालात नॉर्मल रहे तो सितंबर- अक्टूबर में ही कुछ उम्मीद की जा सकती है।

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क्या कहते हैं व्यवसायी

स्थिति बहुत खराब है। पिछले साल का टूरिस्ट सीजन खराब हुआ और अब इस बार का भी। बीच में कुछ दिन होटल खुले तो थोड़ा-बहुत खर्च निकल पाया। हालात नॉर्मल होने में लंबा वक्त लगेगा। तब तक बैठ कर हालात ठीक होने का इंतजार ही किया जा सकता है।

ऋषि बंसल, ओनर

होटल सॉलिटियर

अब तक करोड़ों का नुकसान हो गया है। टूरिस्ट आ नहीं रहे तो रूम्स नहीं लग रहे। शादियां हो नहीं रही तो बैंक्वेट भी खाली हैं। आने वाले दिनों में भी कोई बहुत उम्मीद नहीं। जून तो चला गया, उसके बाद टूरिस्ट सीजन खत्म हो जाएगा। फिलहाल तो स्टाफ की सैलरी भी नहीं निकल रही।

यश चैहान, फ्रंट ऑफिस मैनेजर

होटल सैफरॉन लीफ

पिछले साल 7 महीने होटल बंद रहे, अब फिर डेढ़ महीने हो गये। कुछ समय बाद कफ्र्यू हटता भी है तो होटल इंडस्ट्री को कोई फायदा नहीं होने जा रहा है। क्योंकि चीजें नॉर्मल होने में वक्त लगेगा और तब तक एक और सीजन चला जाएगा। फिलहाल तो कहीं से कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है।

हेमंत कोचर, ओनर

होटल मधुबन

उत्तराखंड में होटल इंडस्ट्री सरकार को सबसे ज्यादा रेवन्यू देती है, लेकिन इस समय सरकार की ओर से कोई रियायत नहीं मिल रही है। बिजली का बिल, टैक्स सब भर रहे हैं। और तो और बार लाइसेंस तक की पूरी फीस ली गई है, उसमें भी कोई रिबेट नहीं मिली। मजबूरी में स्टाफ करना पड़ रहा है।

तरुण रावत, ओनर

जेएसआर इन