देहरादून (ब्यूरो) दून में सड़कों का विस्तार हो रहा है। सड़कों किनारे हरे-भरे पेड़ों को काटा जा रहा है। आवासीय प्लॉटिंग के नाम पर आम-लीची के सैकड़ों बाग काट कर आवासीय भवनों के लिए प्लॉटिंग की जा रही है। कानून बनने के बाद भी अवैध प्लॉटिंग पर रोक नहीं लग पाई है। आज शहर में आम-लीची के गिने-चुने पेड़ ही दिखाई देते हैं। खेती की जमीनों पर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स उग आए हैं, लेकिन डिजिटल मास्टर प्लान लागू होने के बाद सेटेलाइट टेक्नॉलाजी से इलीगल कंस्ट्रक्शन पर नजर रखी जाएगी। जिससे अवैध निर्माण पर तत्काल कार्रवाई हो सकेगी।

धोखाधड़ी से मिलेगी राहत
आमतौर पर एग्रीकल्चर लैंड को आवासीय दिखाकर प्रॉपर्टी डीलर और रियल एस्टेट कारोबारी लोगों को गुमराह करके बेच देते हैं, लेकिन बाद में पता चलता है कि जो जमीन खरीदी है वह आवासीय नहीं बल्कि गैर आवासीय है। जब तक ग्राहक को यह बात मालूम चलती है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है। जमीन कारोबारी की धोखाधड़ी पर डिजिटल मास्टर लगाम लगाएगा। गूगल में सर्च करते हुए मोबाइल स्क्रीन पर संबंधित क्षेत्र के जमीन के लैंडयूज सामने आ जाएगी, जिससे ग्राहक धोखाधड़ी से बच जाएंगे। आमतौर पर जमीन के बारे में जानकारी न होने पर पब्लिक जमीन खरीदने को लेकर लुटती आ रही है। लोगों को एक क्लिक पर जमीन की सारी जानकारी मिल सकेगी।

16 साल में 55 परसेंट हरियाली गायब
दून किस तरह कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहा है कि इसकी तस्दीक खुद आकड़े कर रहे हैं। 2005 में जब दून का पहला मास्टर प्लान बनाया गया, तब हरियाली 60 परसेंट थी। यानि 40 परसेंट पर ही कंस्ट्रक्शन था, लेकिन 2023 आते-आते हरियाली महज छह परसेंट रह गई है। यह बात डिजिटल मास्टर प्लान के सर्वे के दौरान सामने आई है। दून में लगातार आवासीय और गैर आवासीय भवनों का निर्माण हो रहा है। सुंदर दून, हरित दून का नारा अब सिर्फ नारों में ही देखने को मिल रहा है। जमीनी हकीकत यह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद अब सिर्फ शहर में ग्रीन एरिया का दायरा घटता जा रहा है। राजधानी बनने के बाद पेड़ों का अंधाधुंध कटान शुरू हुआ। कृषि भूमि पर बड़ी संख्या में प्लॉटिंग करके हरियाली को नष्ट करने का धंधा लगातार जारी है।

फाइनल टच देने में जुटा एमडीडीए
दून शहर के मास्टर प्लान को तैयार ड्राफ्ट पर करीब 800 लोगों ने अपनी आपत्तियां दर्ज की हंै। लोगों ने बिल्डिंग की हाइट, सड़कों की चौड़ाई, भवनों के नक्शे समेत कई नियम और रूल्स पर आपत्तियां दर्ज की हैं। इन आपत्तियों के निस्तारण के बाद ही ड्राफ्ट को फाइनल टच दिया जाएगा। इसके लिए कसरत की जा रही है।

नए मास्टर प्लान पर एक नजर
-37800 हेक्टेयर है टोटल मास्टर प्लान का एरिया
-17916 हेक्टेयर है डेवलप्ड एरिया
-6952 हेक्टेयर है अनडेवलप्ड एरिया
-9872 हेक्टेयर एरिया है फॉरेस्ट
-3059 हेक्टेयर कैंटोनमेंट एरिया
- 6953 हेक्टेयर जमीन को किया गया प्रतिबंधित

डिजिटल मास्टर प्लान की खास बातें
- 6952 हेक्टेयर भूमि नहीं बदलेगा स्वरूप
- मास्टर प्लान लागू होने के बाद वेब पोर्ट किया जाएगा तैयार
- अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिले, इसके लिए मोबाइल एप्लीकेशन बनेगा।
- 2041 तक के लिए बनने वाला मास्टर प्लान समय-समय होगा रिब्यू
- नए मास्टर प्लान में नदी-नालों और नहरों के संरक्षण को किया गया स्पष्ट सीमांकन
- नदी-नालों पर कब्जे रोकने के लिए बफर जोन भी किए गए हैं चिन्हित
- जमीन की धोखाधड़ी रोकने को खसरा नंबर को किया गया है सेटेलाइट मैप से सुपरइंपोज

डिजिटल मास्टर प्लान को फाइनल टच दिया जा रहा है। मास्टर प्लान को लेकर आई आपत्तियों का जल्द निस्तारण करने का प्रयास किया जा रहा है। सड़कों की चौड़ाई को लेकर सबसे ज्यादा आपत्तियां आई हैं। जनसुनवाई की तिथि जल्द जारी की जाएगी।
मोहन सिंह बर्निया, सचिव, एमडीडीए

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