बीजेपी में खंडूड़ी, तो कांग्रेस में टीपीएस रावत और जीएस नेगी जैसे रिटायर्ड सैन्य अफसरों को चेहरा बनाने से अब भी परहेज।

- बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल कर रहे हैं सैनिक वोटों को लुभाने का प्रयास।

- बीजेपी ने सम्मान में किया है कार्यक्रम का ऐलान, तो सरकार ने लिए हैं फैसले।

DEHRADUN: सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पूरे देश में सेना और सैनिकों के प्रति एक खास माहौल तैयार हुआ है। देश का आम नागरिक भले ही भावनात्मक तौर पर सारी चीजों को देख रहा हो, मगर सियासी दलों की नजरों में चुनावी लाभ लेने की बात आसानी से पढ़ी जा रही है। खास तौर पर उत्तराखंड में जहां, पूर्व सैनिकों की तादाद अच्छी खासी है। इसके बावजूद, बीजेपी और कांग्रेस कोशिश तो सैनिकों को लुभाने की कर रही है, लेकिन पार्टी में मौजूद रिटायर्ड सैन्य अफसरों को चेहरा बनाने में उनकी हिचक भी साफ दिख रही है। यही वजह है कि बीसी खंडूड़ी, टीपीएस रावत और जीएस नेगी जैसे रिटायर्ड सैन्य अफसरों की बदले माहौल में प्रभावी भूमिका का अब तक भी नहीं उभारा जा सका है।

क्0 लाख से ज्यादा सैनिक परिवार

उत्तराखंड में पूर्व सैनिक वोटों की संख्या करीब ढाई लाख है। उनके परिजनों को भी जोड़ लिया जाए, तो यह संख्या दस लाख के पार पहुंचती है। पोस्टल वोटरों के मार्फत भी सैनिक वोटों उत्तराखंड के चुनावों को प्रभावित करते हैं। उत्तराखंड में करीब ब्भ् हजार पोस्टल वोट उत्तराखंड में हैं।

सैनिक चेहरे, सामने लाने में हिचक

रिटायर्ड मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी

ख्0क्ख् के चुनाव में खंडूड़ी जरूरी के रंग में बीजेपी रंगी हुई थी, मगर इस बार खंडूड़ी से उतना ही परहेज है। उम्रदराज होने के कारण रिटायर्ड मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी को मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिल पाई। विधानसभा चुनाव में उन्हें पार्टी का चेहरा बनाने में भी पार्टी हिचक दिखा रही है। हालांकि पार्टी के आंतरिक सर्वे खंडूड़ी के पक्ष में बताए जा रहे हैं।

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल टीपीएस रावत

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल टीपीएस रावत को सैनिकों के परिजनों के लिए बनी टास्क फोर्स का अध्यक्ष बना दिया गया हो, लेकिन पार्टी का प्रमुख चेहरा वह अब भी नहीं बन पाए हैं। ख्0क्ख् के चुनाव में लैंसडौन से टीपीएस चुनाव हार गए थे। बीजेपी, रक्षा मोर्चा से होते हुए उनकी घर वापसी हुई है। पर बात नहीं बनी। ये भी तय नहीं है कि उन्हें टिकट मिलेगा या नहीं।

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जीएस नेगी

आईएमए के कमाडेंट रह चुके रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जीएस नेगी काफी समय से कांग्रेस में हैं। उन्हें दायित्वधारी भी बनाया गया है, लेकिन सैनिकों के बीच में उन्हें पार्टी का चेहरा बनाकर पेश नहीं किया जा सका है। ख्0क्ब् के लोकसभा चुनाव में पौड़ी सीट से आखिरी समय में उनका टिकट काटकर हरक सिंह रावत को दे दिया गया था।

बीजेपी का सम्मान, सरकार के निर्णय

सैनिकों को लुभाने के लिए बीजेपी क्0 से ख्0 अक्टूबर तक पूरे प्रदेश में सैनिक सम्मान यात्राएं शुरू करने जा रही है। दूसरी तरफ, कांग्रेस की राज्य सरकार टास्क फोर्स गठन से लेकर वार मैमोरियल के लिए तीन करोड़ का बजट देने जैसे फैसले कर चुकी है।