- पौराणिक परंपरा और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ बंद हुए मंदिर के कपाट, सैकड़ों श्रद्धालु बने पावन उत्सव के साक्षी

- आज भैया दूज पर बंद होंगे केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट, फूलों से सजाए गए मंदिर

- 19 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे बदरीनाथ धाम के कपाट

UTTARKASHI: गंगोत्री धाम के कपाट रविवार को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इसी के साथ गंगा की उत्सव डोली अपने शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा के लिए रवाना हो गई। कपाटबंदी के मौके पर सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे। केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट आज भैया दूज के पर्व पर बंद किए जाएंगे। कपाटबंदी के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद होंगे।

24 हजार श्रद्धालु पहुंचे गंगोत्री धाम

इस वर्ष गंगोत्री धाम के कपाट 26 अप्रैल को खोले गए थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते श्रद्धालुओं की संख्या पिछले वर्षो की अपेक्षा काफी कम रही। धाम में इस सीजन में 24 हजार यात्री पहुंचे, हालांकि कपाट बंद होने के अवसर पर लगभग 600 श्रद्धालु उपस्थित रहे। सोमवार को अन्नकूट पर्व पर सुबह साढ़े आठ बजे कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई। पौराणिक परंपरा, वैदिक मंत्रोच्चार और गंगा लहरी के पाठ के साथ गंगा की प्रतिमा का मुकुट उतारा गया। इसके बाद भोग मूर्ति को मंदिर से बाहर लाकर डोली में विराजमान किया गया और मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। मां गंगा के जयकारों के बीच बिहार रेजीमेंट के बैंड की धुन और परंपरागत ढोल-दमाऊं की थाप के साथ दोपहर साढ़े बारह बजे डोली मुखबा के लिए रवाना हुई। शाम चार बजे डोली मुखबा से चार किलोमीटर दूर चंदोमति मंदिर पहुंची। रात्रि विश्राम के बाद डोली सोमवार सुबह मुखबा पहुंचेगी। इस अवसर पर गंगोत्री के विधायक गोपाल रावत, पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण, गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल, सचिव दीपक सेमवाल और सह सचिव राजेश सेमवाल मौजूद रहे।

कपाटबंदी की तैयारियां पूरी

दूसरी ओर केदारनाथ और यमुनोत्री धाम में कपाट बंद करने की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस अवसर के लिए दोनों धामों में मंदिरों को फूलों से सजाया गया है। सोमवार को केदारनाथ धाम के कपाट सुबह 8.30 और यमुनोत्री के कपाट दोपहर बाद 12.25 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इधर, बदरीनाथ धाम में गणेश पूजन के साथ कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवम्बर को शाम 3.35 बजे बंद किए जांएगे। बदरीनाथ के रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी और धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने गणेश पूजन के साथ कपाट बंद करने की प्रक्रिया का शुभारंभ किया। परंपरानुसार सोमवार को आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद किए जाएंगे। 17 नवंबर को खडक पुस्तक पूजा और 18 नवंबर को लक्ष्मी पूजन किया जाएगा। 19 नवम्बर को बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।