हींग लगे न फिटकरी, रंग चोखा
बिना किसी इंवेस्टमेंट के करोड़ों की कमाई पर यह मुहावरा एकदम फिट बैठता है। एजूकेशन हब कहे जाने वाले दून में स्कूल्स में हर बार की तरह इस बार भी सुपर बाजार सजने को है। बिजनेस माइंडेड होते इन स्कूल्स में बुक्स, स्टेशनरी और यूनिफार्म के लिए पेरेंट्स को बिना मर्जी खरीदनी पड़ती है। खुले बाजार से अगर तुलना करें तो मार्केट रेट के करीब डेढ़ गुना कीमत पर खुलेआम वसूली की जाती है। पौने तीन लाख स्टूडेंट्स से एक से डेढ़ हजार एक्स्ट्रा वसूली जाने वाली यह रकम भले ही सुनने में मामूली लगे पर हकीकत में यह 30 से 30 करोड़ रुपए का बड़ा कारोबार है, जिसे कुछ कांट्रेक्टर्स और स्कूल मिलकर समेटते हैं।
10 रुपए के सॉक्स 55 में
सिटी के एक फेमस यूनिफार्म सेलर की माने तो ओपन मार्केट और स्कूल्स से टाईअप करने वाले सेलर्स के रेट में करीब 50 परसेंट का फर्क है। कई प्रॉडक्ट्स पर तो यह मार्जन कई गुना हो जाता है। नामर्ली जिस सॉक्स का रेट मार्केट में सिर्फ 10 से 15 रुपए है वहीं इसका रेट स्कूल की शॉप्स या कॉन्ट्रेक्ट की दुकान में 40 से 55 है। सिर्फ सॉक्स ही नहीं, शट्र्स, स्कट्र्स, पैंट्स, शूज और बैग्स सभी के रेट्स ऐसे ही हाई रहते हैं। पेरेंट्स भी इस मनमानी को दबी जुबान में मानने को मजबूर हैं। इससे सिर्फ पेरेंट्स ही नहीं बल्कि मार्केट को भी काफी लॉस होता है।
Difference in Rates:
आइटम स्कूल रेट मार्केट रेट
बुक्स 1500 1200
स्टेशनरी 550 350
यूनिफार्म 3200 2400
बैग 350 250
जूते 600 250
टोटल 6200 4450
(नोट::: यह सभी आंकड़े लगभग रुपए में हैं.)
मनमानी पर उतारू हैं स्कूल्स
एडमिशन टाइम पर बजट का टेंशन सताता रहता है। स्टेशनरी तो स्कूल ही देता है। बुक्स और यूनिफार्म पर हर साल एक-डेढ़ हजार एक्स्ट्रा खर्च हो जाता है। स्कूल की बुक्स बाहर मिलती नहीं, वो भी किसी खास दुकान से ही मिलती है। ऐसे में स्कूल्स और इन दुकानों के बीच क्या कनेक्शन है यह तो भगवान ही जाने।
- अनुपमा उनियाल, पेरेंट
मेरी बेटी सेवंथ क्लास में है। इससे पहले जिस स्कूल में मेरी बेटी का एडमिशन कराया था। वहां काफी मनमानी थी। इसी से परेशान होकर अब स्कूल ही चेंज कर दिया। सिटी के कई स्कूल्स में तो मनमानी और लूटमारी हद से ज्यादा है।
- संध्या लिम्बु, पेरेंट
हर साल स्कूल्स अपनी मनमानी करते हैं। इसी से परेशान होकर अभिभावक संघ बनाया है। संघ के आवाज उठाने के बाद से स्कूल्स की मनमानी पर लगाम लगी है। इस बाजार पर रोक के लिए इस बार भी स्कूल्स को लिखित में डीएम के माध्यम से ज्ञापन दिया जाएगा। अगर इसके बाद भी कोई सकूल मनमानी पर उतारू रहा तो आंदोलन होगा।
-शेखर ममगंई, प्रेसीडेंट, पब्लिक स्कूल अभिभावक संघ