देहरादून ब्यूरो। दून के कई हिस्सों में हाल के दिनों में अलग-अलग कामों के लिए सड़कें खोदी गई हैं। एक बार खोदने के बाद लंबे समय तक ये सड़के अस्त-व्यस्त रहती हैं। खोदे जाने के कारण हुए गड्ढों में जगह-जगह पानी भर रहा है। हालांकि हाल के दिनों में सिटी के बड़े हिस्से में बारिश न होने के कारण पानी सूख गया है। लेकिन आने वाले दिनों में फिर से तेज बारिश होने की संभावना है। सड़कों के गड्ढों में भरने वाले पानी को हटाने का कोई उपाय नहीं है। ऐसे में इनमें मच्छरों के पैदा होने की ज्यादा आशंका है।

फॉगिंग मुख्य सड़कों तक
हाल के दिनों में नगर निगम ने फॉगिंग शुरू तो की है, लेकिन फॉगिंग करने वाली टीमें अब तक मुख्य बाजारों, सरकारी दफ्तरों और मुख्य सड़कों से लगती रिहायशी बस्तियों तक ही कहीं-कहीं पहुंच पाई हैं। डेंगू लिए वे क्षेत्र सबसे ज्यादा संवेदनशील माने जाते हैं, जहां खाली पड़े प्लॉटों में पानी भर जाता है। ये क्षेत्र आमतौर में अविकसित या अद्र्ध विकसित कॉलोनियां हैं। इनमें फिलहाल बचाव संबंधी कोई उपाय शुरू नहीं हो पाये हैं।

क्या कहते हैं दूनाइट्स
यहां बातें ज्यादा काम कम होते हैं। डेंगू फैल रहा हैे, प्रशासन चिन्तित है, हेल्थ डिपार्टमेंट भी चिन्तित है। नगर निगम भी बहुत चिन्तित है। डेंगू की रोकथाम के युद्धस्तर पर प्रयास हो रहे हैं। हो भी रहे होंगे, लेकिन कहां हो रहे हैं। हमें तो आज तक नहीं दिखाई दिये।
- अखिलेश राय

दून में डेंगू जानलेवा साबित होता रहा है। 2020 और 2021 के साल छोड़ दिये जाएं तो हर साल कई लोगों की डेंगू से मौत हुई है। इसके बावजूद इतनी लापरवाही की जाती है। कोविड के दो सालों में शहर में लगातार छिड़काव होते रहे, इसलिए डेंगू नहीं हुआ। लेकिन, इस बार कोई छिड़काव नहीं किया गया। साफ है कि इसे रोका जा सकता था, लेकिन नहीं रोका गया।
अमित गोयल

पिछले दो सालों के अनुभव बताते हैं कि यदि नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग चाहे तो डेंगू पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सकती है। कोविड के कारण डर बना हुआ था, लगातार छिड़काव हो रहा था। इस छिड़काव से कोविड तो नहीं रुका, लेकिन डेंगू से दो साल मुक्ति मिली। इस अनुभव को देखते हुए लगातार छिड़काव और फॉगिंग की जानी चाहिए थी।
- अनुराग गुप्ता

दरअसल हमें आदत पड़ गई है, सरकार के भरोसे रहने की। सरकारी कर्मचारी एक-एक घर में जाकर चेक नहीं कर सकता है। हमें दरअसल अपनी जान की ही परवाह नहीं। सड़कों पर हम बिना हेलमेट बिना सीट बेल्ट वाहन चलाते हैं। घरों में हम आसपास जमा पानी को साफ नहीं कर सकते। हम चाहते हैं कि हमें हेलमेट पहनाने और घरों में जमा पानी साफ करने के लिए भी सरकार को आना चाहिए।
- हिमांशु अग्रवाल