- उद्यान विभाग द्वारा दी जा रही प्रदेश के सेब को विशेष पहचान

- उत्तराखंड का सेब उत्पादन में देश में है तीसरा स्थान

- प्रदेश में सबसे ज्यादा उत्पादन उत्तरकाशी जिले में

UTTARKASHI: उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाके बेहतरीन किस्म के सेबों के उत्पादन के लिए जाने जाते हैं। अब इस सेब की मिठास सात संमुदर पार तक पहुंचेगी। बेहतरीन ग्रेड्स के चुनिंदा सेबों को उद्यान विभाग देश के कोने-कोने तक तो पहुंचाएगा है इसे एक्सपोर्ट भी किया जाएगा। उद्यान विभाग द्वारा इसकी ब्रैंडिंग की जा रही है और इसे नाम दिया गया है उत्तराखंड हर्षिल एप्पल्स।

एप्पल प्रॉडक्शन में तीसरा स्थान

एप्पल प्रॉडक्शन में उत्तराखंड का देश में तीसरा स्थान है। उत्तरकाशी की बात करें तो प्रदेश में यहां पर सबसे ज्यादा सेबों का उत्पादन किया जाता है, वह भी बेहतरीन किस्म के सेबों का। गुणवत्ता में बेहतर होने के बावजूद भी यहां के सेब को वैश्विक पहचान नहीं मिली। लेकिन अब हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट द्वारा इसे ग्लोबल आइडेंटिटी दिलाने के लिए कसरत शुरू कर दी गई है। अब तक यहां का सेब हिमाचल एप्पल की कार्टन्स में देश भर में भेजा जाता था, लेकिन अब इसे हर्षिल एप्पल की पहचान दी जा रही है, बाकायदा हर्षिल एप्पल ब्रैंड की 8भ् हजार पेटियां हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट द्वारा तैयार करवाई गई हैं, जिनमें इन्हें पैक करके देश ही नहीं दुनिया के कोने-कोने तक भेजा जाएगा।

क्भ् हजार मीट्रिक टन प्रॉडक्शन

बात अगर सिर्फ उत्तरकाशी की करें तो यहां 70 के दशक में एप्पल प्रॉडक्शन में काश्तकारों का रुझान बढ़ा। 70 के दशक से शुरू हुआ एप्पल प्रॉडक्शन बढ़कर आज क्भ् हजार मीट्रिक टन तक पहुंच चुका है। हर साल करीब क्भ् लाख पेटियों में यहां का सेब देशभर में सप्लाई किया जाता है। यहां रॉयल डिलीशियस, रेड डिलीशियस, गोल्डन सहित सेब की करीब-करीब सभी किस्में पैदा की जा रही हैं। देश की बड़ी-बड़ी मंडियों तक यह सेब हिमाचल एप्पल की पेटियों में पैक करके अब तक भेजा जाता था, जिसके चलते इसकी अपनी पहचान नहीं बन पाई, लेकिन अब हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट ने इसे पहचान दिलाने के लिए कमर कस ली है। अब यहां का सेब हर्षिल एप्पल के नाम से देश और दुनिया में भेजा जाएगा।

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अब यहां का सेब उत्तराखंड हर्षिल एप्पल नाम की पेटियों में बाहर भेजा जा रहा है। इस बार 8भ् हजार पेटियां तैयार की गई हैं। पेटियां भी चार कलर की हैं। साथ ही एप्पल टूरिज्म पर भी काम शुरू हो गया है। धराली में कुछ युवाओं ने सेब के बाग में पर्यटकों के लिए टैंट लगा दिए हैं। जिन में पर्यटक ठहर रहे हैं। उद्यान विभाग की योजना है कि उत्तरकाशी के क्0 हजार काश्तकार एप्पल टूरिज्म से भी जुड़ें।

- एनके यादव, डीएचओ, उत्तरकाशी।

यहां होता है बेहतरीन सेब

गंगा घाटी में हर्षिल, झाला, सुखी, जसपुर, मुखवा, धरानी, छोलमी में सेब उत्पादित किया जाता है जबकि यमुना घाटी में स्योरी, मोराल्टू, कोटियाल गांव, जखोल, सांकरी, आराकोट, नटवाड़ आदि स्थानों पर काश्तकार बड़ी मात्रा में सेब का उत्पादन करते हैं।