टिहरी लोकसभा के अंदर आता है जौनसार बावर का जनजातीय क्षेत्र। यहां हजारों की संख्या में वोटर्स हैं। नेता भी हैं और चुनाव के लिए मुद्दे भी हैं। फिर भी ऐसा क्या है इस क्षेत्र में कि यह हमेशा से उपेक्षित ही रहा है। कुछ इन्हीं सवालों से जूझते हुए टीम आई-नेक्स्ट पहुंची इस क्षेत्र में। सवालों के जवाब भी मिले और हकीकत से रूबरू होने का मौका भी मिला। यह उत्तराखंड की राजनीति का वह जीरो जोन है, जिसे वहां की जनता ने भी अपनी नियति मानकर स्वीकार कर लिया है।

देहरादून से नैनबाग

सफर की शुरुआत हुई 4 अप्रैल को सुबह नौ बजे देहरादून से। तय हुआ था कि हम पूरा सफर बाइक से तय करेंगे। इस सफर पर निकलते समय तमाम तरह के सवाल टीम आई-नेक्स्ट टीम के सामने थे। देहरादून-मसूरी- यमुना पुल होते हुए हरे भरे जंगलों को पार करते हुए नैनबाग पहुंचे। यह सफर का पहला पड़ाव था। प्रकृति के अनुपम उपहारों के बीच यहां तक का सफर सुखद अहसास दिलाने वाला था। कुछ स्थानों को छोड़ सड़क ठीक थी।

नैनबाग में तरसे नैन

धनोल्टी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाला नैनबाग खूबसूरत टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। कलकल कर बहती यमुना नदी के किनारे बसे नैनबाग में चारधाम यात्रा के दौरान यात्रियों का जमावड़ा लगा रहता है। क्षेत्र का पूरा आर्थिक ढंाचा कहीं न कहीं चार धाम यात्रा पर टिका है। पर इस बार यात्रा सीजन में क्या होगा यह सबसे बड़ा सवाल है। यमुनोत्री धाम का यह मुख्य पड़ाव है। यहां के व्यवसायी । कहते हैं, साहब चुनाव में कौन जीतेगा कौन हारेगा यह तो वक्त ही जाने। हम तो इस बात से परेशान हैं कि कहीं यात्रा सीजन हमसे रूठ न जाए। चुनावी चर्चा के दौरान स्थानीय लोग कहते हैंनैनबाग के लोगों के नैन तरस गए हैं स्थानीय नेताओं को देखने को। सभी देहरादून में बैठे रहते हैं। हमारी समस्या से किसी को मतलब नहीं। हमें न तो सिटी की तर्ज पर ट्रेन, मॉल और मल्टीप्लेक्स चाहिए, बल्कि दरकार है तो सिर्फ सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं की। जिसे आजादी के छह दशक बाद भी सरकार पूरा नहीं कर पाई है।

शुरू हुई 'पथरीली परीक्षा'

नैनबाग से आगे बढ़ते ही हमें इस बात का अहसास हो गया कि क्यों नैनबाग के लोग इस कदर गुस्से में हैं। साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया कि आगे का रास्ता हमारी खूब परीक्षा लेने वाला है। चंद किलोमीटर बाद ही रास्ते गढ्ढ़ों में तब्दील हो गए। बड़े-छोटे नुकीले पत्थर बाइक के टायर और ट्यूब के धैर्य की परीक्षा लेने लगे। आखिरकार नैनबाग से करीब 18 किलोमीटर आगे ट्यूब का धैर्य टूट ही गया और बाइक पंक्चर हो गई। बावजूद इसके चुनौती का यह सफर जारी रहा। कुछ दूर आगे बर्निगाड पहुंचकर भारत टायर पंचर सर्विस नाम की दुकान ने हमें और हमारी बाइक को आगे के सफर के लिए तैयार किया। मकैनिक ताहिर बड़े आश्चर्य में थे जब उन्हें पता चला कि हम देहरादून से इस क्षेत्र का हाल जानने आए हैं। ताहिर कहते हैं अच्छा लगा कि कोई तो हमारी बात राजधानी में बैठे लोगों तक पहुंचाएगा।

हमें तो राजनीति ने बांटा है

नाम ताहिर अहमद। दुकान का नाम भारत टायर पंचर सर्विस। एक तरफ जहां पूरे देश में सेक्युलेरिज्म पर बहस चल रही है बर्निगाड में पिछले 14 साल से चल रही यह दुकान एकता का संदेश दे रही है। ताहिर कहते हैं हमें क्या पता सेक्युलेरिज्म का। हमारे यहां तो सभी धर्म, जाति के लोग आते हैं। इसीलिए तो दुकान का नाम भी भारत रखा है। बाद आगे बढ़ती है तो ताहिर कहते हैं रोज टीवी पर देखता हूं हिंदु-मुस्लिम को लेकर बयान बाजी हो रही है। हमें तो राजनीति ने इस कदर बांट दिया है कि शर्म भी आती है। चर्चा के बीच और लोग भी जुट जाते हैं। वोट के मुद्दे पर कहते हैं यहां तो हर कदम पर परेशानी और चुनौती है। किस मुद्दे को अपना मुद्दा बनाएं। हमें तो सिर्फ दो जून की रोटी मिल जाए, जिंदगी यूं ही कट जाएगी।

लाखामंडल में प्रवेश किया। रात हो चुकी थी और टीम यही पर एक होटल में रुक गई।

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विकास देखें या होटल को

सफर का पहला दिन टीम मसूरी, धनोल्टी व पुरोला विधानसभा क्षेत्र से होते हुए चकराता विधानसभा क्षेत्र के लाखामंडल गांव तक पहुंच कर खत्म हुआ। मसूरी विधानसभा क्षेत्र में शहरी इलाकों की तरफ विकास की कुछ रोशनी दिख रही थी, जबकि दूसरी तरफ गांव विकास से कोसों दूर था। कमोवेश यही स्थिति धनोल्टी विधानसभा की थी, लेकिन पुरोला विधानसभा क्षेत्र की स्थिति दोनों से अलग थी। बर्निगाड पुरोला विधानसभा क्षेत्र में पड़ता था। यहां की सड़क ठीक नहीं थी, लेकिन सड़क के किनारे स्थानीय विधायक का बेहतरीन होटल जरूर था। जिसे देखकर लोग यही कह रहे थे भाई साहब विकास का पैसा कहां जा रहा है इसे होटल देख कर समझ लीजिए।

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क्षेत्रफल की दृष्टि से मसूरी विधानसभा है यहां पर वोटरों की संख्या पुरोला विधानसभा का क्षेत्रफल और वोटर की संख्या इतनी है। मसूरी विधानसभा क्षेत्र का क्षेत्रफल और वोटरों की संख्या है। वर्तमान में पुरोला के विधायक मालचंद है। जबकि मसूरी के गणेश जोशी व धनोल्टी के शूरवीर सिंह रांगड़ है। खास बात यह है कि तीनों विधायक बीजेपी के है, जो वर्तमान में विपक्ष का भूमिका निभा रहे हैं।