इंडियन एंबेसी में भी लिस्टिंग

बताया गया है कि सबसे पहले इन चारों गांवों से 70 के दशक में पहली बार कुछ युवाओं ने जापान की तरफ रुख किया। फिर उसके बाद तो यहां के युवाओं ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब स्थिति यह है कि यहां के युवा केवल होटल मैनेजमेंट पर ही ज्यादा एजूकेशन लेते हैं। अकेले जापान सिटी में इस वक्त इन चार गांवों के युवाओं के करीब 10 ढाबे और रेस्टोरेंट चल रहे हैं। जबकि अकेले दौलत सिंह के ज्योति करी हाउस नाम के चार ढाबे जापान में चल रहे हैं। यह ढाबे टोकियो व ओसाका सिटी में स्थित हैं। बताया गया कि इंडियन एंबेसी में इंडियन डिशेज के लिए कुछ ढाबों के नाम शामिल हैं। जापान से लौटकर आए भगत सिंह कहते हैं कि जापान में इंडिया के तंदूरी चिकन व बटर नान को खूब पसंद किया जाता है। बतौर टीचर दिलीप सिंह नेगी के मुताबिक अब इन गांवों के स्टूडेंट्स होटेल मैनेजमेंट कोर्स को ही प्रायरिटी दे रहे हैं। हुकुम सिंह कैंतूरा को इस बात की खुशी है कि उनके तीन बेटे जापान में ही हैं।

240 युवा सैटल्ड

टिहरी जिले के घनसाली तहसील से करीब 70 किमी दूर स्थित हैं पंगरियाना, बागर, बडियार और सरपोली गांव। इन चारों गांवों की आबादी करीब 12,000 के आस-पास है। सर्व संपन्न इन गांवों में पहुंचने में थोड़ी रोड कनेक्टिविटी की प्रॉब्लम होती हो, लेकिन रोजगार के क्षेत्र में इन गांवों के युवाओं ने जापान जैसे संपन्न देश में अपने हुनर का सिक्का जमाया हुआ है। इन चारों गांवों से करीब 240 युवा इस वक्त जापान में सैटल्ड हैं, जहां इन युवाओं ने रेस्टोरेंट या ढाबा खोलकर इंडियन डिशेज में खासी सफलता पाई है।

बैंक की डिमांड

बताया जा रहा है कि टिहरी के पंगरियाना, बगर, बडियार और सरपोली गांवों के जापान से बैंकों में सालाना ठीक-ठाक ट्रांजैक्शन होता है। इसी कारण एसबीआई बैंक से उन्होंने चारों गांवों के बीच में एक ब्रांच खोलने का भी आग्रह किया। आर्थिक रूप से मजबूत इन गांवों में सिंपल लिविंग स्टाइल देखने को मिलता है।