- शोगवारों ने मांगी आतंकवाद को खत्म करने की दुआ

- नबी इमाम हुसैन की शहादत को किया गया याद

DEHRADUN: अल्लाह के आखिर नबी हजरत मुहम्मद के आखिरी नबी इमाम हुसैन की शहादत पर दस मुहर्रम ( यौम ए आशूरा) का मातमी जुलुस बुधवार को राजधानी देहरादून में निकाला गया। इस दौरान इमाम हुसैन की शहादत सुन शिया शोगवार जार-जार रोये। दोपहर करीब ढाई बजे भारी पुलिस की मौजूदगी में मातमी जुलूस ईसी रोड स्थित ईमामबाड़ा से शुरू हुआ। जुलूस में सैकड़ों शिया शोगवार शाि1मल हुए।

ईमामबाड़ा से शुरू हुआ जुलूस

करनपुर स्थित ईमामबाड़ा से सैकड़ों शिया शोगवारों 'या हुसैन हम न हुए' के मातमी जुलूस में शामिल हुए। जुलूस इमामबाड़ा से शुरू होकर ईसी रोड से सर्वे चौक, परेड ग्राउंड, लैंसडौन चौक, दर्शनलाल चौक, तहसील चौक होते हुए इनामुल्ला बिल्डिंग पहुंचा। जुलूस में छुरियों, जंजीरों से मातम कर रहे शोगवारों द्वारा ताजिया और अलम भी उठाये गये।

अमन चैन की मांगी दुआ

दसवीं मुहर्रम के जुलूस समापन से पहले लखनऊ से आये मौलाना मंजर अली आरफी द्वारा इनामुल्ला बिल्डिंग में इस्लाम और करबला की घटना पर प्रकाश डाला गया। जुलूस में शामिल शोगवारों ने देश में अमन चैन की दुआ मांगी। इस दौरान आरफी ने कहा इस्लाम आतंकवाद की शिक्षा नहीं देता। उन्होंने कहा कि इस्लाम के मानने वाले कभी दहशतगर्द नहीं हो सकते। मौलाना मंजर ने बताया जो आतंक फैलातें हैं, उनका इस्लाम से कभी भी वास्ता नहीं हो सकता। उन्होंने बताय कि हुसैन की शहादत आतंक से लड़ने का संदेश देती है, क्योंकि हुसैन समेत उसके 7ख् साथियों को भी आतंकियों की तरह जालिम यजीदी फौज ने मारा था। इस दौरान अंजुमन मोमिनील, अध्यक्ष कल्बे हैदर जेडी, पूर्व जरनल सेक्रेटरी मंजूर हुसैन, सचिव मोहम्मडी अब्बास, फितरुष बनारसी, सज्जाद अहमद, जनाब अजगर अली समेत सैकड़ों शोगवार मौजूद रहे।