- आईआईटी, एनआईटी की अलॉटेड सीट छोड़ने पर मिलेगी सजा

- अगले साल जेईई मेन क्वॉलिफाई करने के बाद भी एडवांस में नहीं मिलेगी एंट्री

ravi.priya@inext.co.in

DEHRADUN: अगर आप जेईई मेंस के बाद एडवांस एग्जाम में भी बेहतरी रैंक में शामिल हैं, लेकिन ज्वाइंट सीट अलोकेशन अथॉरिटी (जोसा) की कॉमन काउंसिलिंग में अलॉट हुई सीट पर एडमिशन नहीं लेते हैं तो यह आपके लिए न सिर्फ अब बल्कि अगले साल के लिए भी घातक साबित हो सकता है। बिना किसी जानकारी के जोसा काउंसिलिंग से मिली सीट छोड़ने पर अगले साल आयोजित होने वाले जेईई एडवांस में एंट्री नहीं मिलेगी। इसके लिए भले ही आपने जेईई मेंस भी क्वॉलिफाई क्यों न किया हो।

सीबीएसई द्वारा कॉमन रैंक लिस्ट (सीआरएल) जारी करने के बाद ज्वाइंट सीट अलोकेशन अथॉरिटी (जोसा) ने देशभर के आईआईटी, एनआईटी, ट्रिपल आईटी और गवर्नमेंट फंडेड इंस्टीट्यूशन की बीटेक की सीटों पर एडमिशन के लिए कॉमन काउंसिलिंग शुरू की गई। अभी तक कुल फ्ब्,78क् सीटों में से दूसरे राउंड के बाद आईआईटी बीएचयू, भिलाई, धनबाद, रुड़की, खड़गपुर के साथ ही एनआईटी अगरतला, जालंधर, आंधप्रदेश और सूरत की कुछ ब्रांचेज में तकरीबन क्फ्म् सीटें खाली रह गई है। इन सीटों पर म् राउंड में होने वाली काउंसिलिंग के जरिए एडमिशन किया जाएगा।

सीट करनी होगी विड्रॉल

जो कैंडिडेट्स जोसा की छह राउंड की काउंसिलिंग में सीट मिलने के बाद पांचवें राउंड में अलॉटेड सीट को छोड़कर विड्राल प्रोसेस को करके रिफंड करवा लेते हैं केवल उन्हें ही अगले साल जेईई एडवांस में बैठने का मौका मिलेगा। लेकिन जो कैंडिडेट्स अलॉटेड सीट को बिना विड्रॉल किए सीट खाली छोड़ेंगे, उन्हें जेईई मेंस क्वॉलिफाई करने के बाद भी जेईई एडवांस में अपियर होने का मौका नहीं मिलेगा। ऐसे में यह कैंडिडेट्स न सिर्फ अपने दो साल के एडवांस देने का मौका खो बैठेंगे बल्कि आईआईटी में एडमिशन का सपना भी कभी पूरा नहीं कर सकेंगे।

------

वर्जन--

सीट अलॉट होने के बाद ऐसे कैंडिडेट्स की संख्या बेहद कम होती है जो बिना विड्रॉल किए सीट छोड़ देते हैं। लेकिन कई बार बेहतर आईआईटी न मिल पाने के चलते कैंडिडेट्स अनजाने में ऐसा कर बैठते हैं, जबकि नियमों के तहत यह उनके लिए बेहद घातक होगा। ऐसे में काउंसिलिंग के नियमों को भी कैंडिडेट्स एक बाद जरूर पढ़ लें, ताकि किसी प्रकार की परेशानी न हो।

---- विपिन बलूनी, मैनेजिंग डायरेक्टर, बलूनी क्लासेज