देहरादून, ब्यूरो: खास बात ये है कि ये इंतजार दो-तीन दिन से ज्यादा तक भी हो जा रहा है। स्थिति को देखते हुए अस्पताल प्रशासन भी परेशान और हताश है। अस्पताल का कहना है कि इस स्थिति को लेकर स्वास्थ्य महानिदेशालय से सुविधाएं बढ़ाए जाने की दरख्वास्त की जा चुकी हैं।

डीजे आई नेक्स्ट की टीम पहुंची रात को मौके पर
फ्राइडे मध्य रात्रि करीब 12.05 बजे का वक्त। हमारी टीम दून मेडिकल कॉलेज के महिला अस्पताल में पहुंची। यहां देखने को मिला कि प्रदेशभर से डिलीवरी व इलाज के लिए पहुंची प्रेग्नेंट लेड जच्चा-बच्चा वार्ड के बाहर खुले बरामदे में बैठी और लेटी हुई हैं। टीम ने जब इन महिलाओं से वस्तु स्थिति जानने की कोशिश की, बताया गया कि उन्हें बेड उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। जनपद चमोली के थराली से पहुंची रीना पंत ने बताया कि उनकी डिलीवरी होने वाली है। वह पिछले 4 दिनों से बेड के इंतजार में है, लेकिन, उन्हें बेड नहीं मिल पा रहा है। उनका कहना था कि उन्हें डिलीवरी के लिए रोज बुलाया जाता है, खाली पेट रहने के लिए कहा जाता है, लेकिन, उसके बाद वापस उन्हें वापस कर दिया जाता है।

एक बेड पर 3-3 महिलाएं
रुद्रपुर से दून अस्पताल पहुंची शबनम का भी कहना था कि वह भी पिछले दो दिन से बेड का इंतजार कर रही हैं। दून स्थित रेर्सकोर्स निवासी दीपा कुमारी ने कहा कि उन्हें आशा वर्कर लेकर दून अस्पताल आईं हैं। लेकिन, उन्हें बेड नहीं मिल पा रहा है। डिलीवरी के लिए पहुंची प्रियंका ने बताया कि वह दो दिन पहले अस्पताल पहुंची हैं। लगातार दर्द हो रहा है, लेकिन, बेड नहीं मिल पा रहा है। मजबूर होकर उन्हें बरामदे में ही लेटना पड़ रहा है। महिलाओं का कहना है कि बेड उपलब्ध न होने के कारण एक बेड पर 3-3 महिलाओं को जगह दी जा रही है।

प्रेग्नेंट लेडीज की ये परेशानियां
-बेड नहीं मिल पा रहे
-दर्द की शिकायत पर रात को नहीं हो पा रहा चेकअप
-गर्मी से निपटने को नहीं है पंखे की सुविधाएं
-कई दिनों से बेड का इंतजार

दून हॉस्पिटल में बढ़ रही तादाद
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रशासन के मुताबिक सभी पीएचसी, सीएचसी दून अस्पताल के लिए रेफर कर दे रहे हैं। शाम के वक्त जिला अस्पताल कोरोनेशन भी प्रेग्नेंट महिलाओं को एक्सेप्ट नहीं करता है। जिस कारण दून में मरीजों की तादाद ज्यादा बढ़ जाती है।

अस्पताल पर एक नजर
-कुल करीब 110 बेड
-रोजाना होती हैं 35-40 डिलीवरी
-इनमें 10 से 12 सर्जरियां शामिल

कुछ दिनों तक एक बेड पर रखा गया। जिसमें 3 मरीज थे, लेकिन बाद में बाहर जाने के लिए कहा दिया गया। रुद्रपुर से इलाज के लिए आई हूं, अब तक बेड भी नहीं मिल पाया है। लगातार तबियत खराब हो रही है।
शबनम, रुद्रपुर

आशा वर्कर के जरिए अस्पताल पहुंची। उम्मीद थी कि बेहतर इलाज मिलेगा। लेकिन, बेड ही उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। मजबूरी में बरामदे में वेट कर रही हूं। यहां गर्मी से भी जूझना पड़ रहा है।
दीपा कुमारी, रेसकोर्स

तीन दिन हो चुके हैं। लेकिन, बेड की कमी के चलते जमीन पर ही लेटने को मजबूर होना पड़ रहा है। दो दिनों से खाली पेट रहने के लिए कहा गया है। उसके बाद भी न बेड मिल पा रहा है और न इलाज।
रीना पंत, थराली

मैं बड़कोट से आई हूं। लगातार दर्द बढ़ते जा रहा है। रात में कोई देखने तक के लिए नहीं आ रहा है। बरामदे में पंखा न होने के कारण गर्मी से सबसे ज्यादा दिक्कत झेलनी पड़ रही है।
प्रियंका, पेशेंट

प्रदेशभर से दून अस्पताल में मरीज पहुंच रहे हैं। जिस कारण अस्पताल पर भार बढ़ते जा रहा है। सीमित संख्या में बेड होने के कारण मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
-डॉ। आशुतोष सयाना, प्रिंसिपल, दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल।

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