- यूजीसी ने देश भर के संस्थानों को दिए कड़े निर्देश

- एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स के दस्तावेज नहीं कर सकेंगे जमा

- अभी तक संस्थान अपने पास रखते थे स्टूडेंट्स के ऑरिजनल सर्टिफिकेट

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DEHRADUN: हायर एजुकेशन से जुड़े संस्थान अब एडमिशन के वक्त स्टूडेंट्स के ऑरिजनल डॉक्यूमेंट्स अपने पास नहीं रख सकेंगे। संस्थानों में स्टूडेंट्स के ऑरिजनल सर्टिफिकेट्स जमा करने के नियम को यूजीसी ने समाप्त कर दिया है। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन के एडमिशन को लेकर लागू किए नए नियम के मुताबिक स्टूडेंट्स को कई पहलुओं पर राहत दी है।

एडमिशन वापस ली तो लौटानी होगी फीस

अक्सर देखने में आता है कि शिक्षण संस्थान एडमिशन लेने के बाद जब कोई एडमिशन वापस लेता है तो उसकी फीस नहीं लौटाते। लेकिन अब नए नियम के तहत अगर पंद्रह दिनों के अंदर स्टूडेंट एडमिशन विड्रॉल करता है तो संस्थानों को उसके द्वारा जमा की गई पूरी फीस वापस करनी होगी। आयोग ने यह नियम अंडर ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट सहित रिसर्च प्रोग्राम व सभी डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सेज में भी लागू किया है।

संस्थानों के खिलाफ होगी कार्रवाई

यूजीसी द्वारा संस्थानों के जारी किए गए सर्कुलर में नियमों का पालन न करने पर कड़ी कार्रवाई की बात भी कही गई है। यदि किसी संस्थान ने स्टूडेंट के ऑरिजनल सर्टिफिकेट्स अपने पास रखे तो उस संस्थान के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जानकारों की मानें तो आयोग का यह फैसला स्टूडेंट्स को राहत प्रदान करने वाला है। दरअसल बीते कुछ वक्त में आयोग के पास स्टूडेंट्स और पैरेंट्स द्वारा एडमिशन विड्राल करने के वक्त सर्टिफिकेट रोकने को लेकर मनमानी और फीस न लौटाने जैसे मामलों को लेकर शिकायतों की संख्या में इजाफा हुआ है। इसी को देखते हुए आयोग ने नए नियमों के जरिए इस तरह के मामलों पर लगाम लगाने की पहल की है।

यूजीसी तय करेगी शिकायत पर कार्रवाई का वक्त

नए नियमों के तहत स्टूडेंट्स या पैरेंट्स की ओर से संस्थानों के खिलाफ दर्ज की गई शिकायतों को संबंधित यूनिवर्सिटी की शिकायत निवारण समिति को भेजा जाएगा। इसके बाद मामले की जांच कर उस कॉलेज या यूनिवर्सिटी की शिकायत निवारण समिति एक्शन टेकन रिपोर्ट भेजेगी। खास बात यह है कि शिकायत का निपटारा यूजीसी द्वारा जारी आदेशों की तिथि से ख्0 दिनों के भीतर करना होगा और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।

यूजीसी मानकों की बात करें तो यूनिवर्सिटीज में शिकायत निवारण समिति गठित करना अनिवार्य है। ऐसे में अब नए नियम के बाद यह समिति एक्टिव होगी और ऐसे मामलों में भी कमी लाने का काम करेगी। आयोग के इस फैसले से जहां संस्थानों की मनमानी और नियम विरुद्ध किए जा रहे कार्यो पर रोक लगेगी, वहीं परेशानी झेल रहे स्टूडेंट्स को काफी राहत मिलेगी।

------ प्रो। पीके गर्ग, वाइस चांसलर, उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी