आपदा के बहाने गांवों पर एक-दूसरे को घेर रही कांग्रेस-बीजेपी

-पिथौरागढ़ से लेकर देहरादून तक आपदा और गांवों को लेकर छोड़े गए बयानों के बाण

कैप्शन- राजभवन में गेट पर रोके जाने से बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का गुस्सा सुरक्षा कर्मियों पर फूट पड़ा। भट्ट और दूसरे बीजेपी नेताओं को गेट पर काफी देर तक रोक लिया गया। भट्ट ने इसकी शिकायत भी राज्यपाल से की।

देहरादून

पहाड़ की आपदा और गांव एक बार फिर सियासी मुद्दा बन गए हैं। इस पर दोबारा राजनीति चरम पर पहुंच गई है। मॉनसून में सियासी पारा चढ़ गया है। शुक्रवार को तो इसमें जैसे उबाल ही आ गया। पिथौरागढ़ के बस्तड़ी से लेकर राजधानी देहरादून तक आपदा और गांवों को लेकर ही सियासी रण चला। केंद्रीय मंत्री बनने के बाद बीजेपी सांसद अजय टम्टा ने सीधे बस्तड़ी की दौड़ लगाई तो देहरादून में बीजेपी के नेता आपदा के मुद्दे को लेकर राज्यपाल के दर पर पहुंच गए। दूसरी तरफ दून में ही सीएम ने बीजेपी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि राज्य सरकार ने आपदा के हालात में तुरंत काम किया। इसी तरह राज्य के दौरे पर आए कांग्रेस के नए राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने भी केंद्र सरकार को गांव और आपदा के मुद्दे पर जमकर खींचा।

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बीजेपी की राजभवन में दस्तक

आपदा और गांवों को बचाने के मुद्दे पर बीजेपी ने शुक्रवार को राज्य सरकार के खिलाफ राजभवन में दस्तक दे दी। बीजेपी का आरोप है कि प्रदेश सरकार आपदा राहत कार्यो में असंवेदनशील व्यवहार कर रही है और राज्यपाल को राहत कार्यो में तेजी के लिए प्रदेश सरकार को निर्देशित करना चाहिए। राज्यपाल से अपील की गई है कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में जो शव नहीं निकल पा रहे हैं, उनके परिजनों को केदारनाथ आपदा के मानकों के आधार पर मुआवजा दिया जाए। साथ ही आपदाग्रस्त गांवों को पुनर्वासित किया जाए।

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ग्राउंड जीरो पर केंद्रीय मंत्री

केंद्रीय कपड़ा राज्यमंत्री अजय टम्टा शुक्रवार को पिथौरागढ़ के आपदा प्रभावित बस्तड़ी और कुमालगौनी गांव पहुंचे। यहां वे पीडि़तों से मिले। उन्होंने घटना को हृदय विदारक बताते हुए विस्थापन जरूरी बताया। राज्य सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा कि अगर राज्य विस्थापन का प्रस्ताव भेजे तो केंद्रीय राहत मद से हर संभव मदद देंगे। उन्होंने बताया कि कुमालगौनी के 5 आपदा प्रभावित परिवारों के विस्थापन के लिए केंद्र ने 19.75 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं। उन्होंने कहा कि आपदा के संबंध में उनकी पीएम से बात हुई है और केंद्रीय रिलीफ फंड से हरसंभव मदद दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि शीघ्र ही एक केंद्रीय टीम आपदा प्रभावित क्षेत्र का जायजा लेने आएगी और इस क्षेत्र में डॉप्लर रडार लगाने का भी प्रस्ताव है।

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कौन बसाएगा गांवों को-प्रदीप

इधर, आपदा और गांवों के मुद्दे पर कांग्रेस से नए राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने अल्मोड़ा से दिल्ली की केंद्र सरकार पर वार किया। उन्होंने कहा कि राज्य के तीन सौ ऐसे गांवों को चिन्हित किया जा चुका है जो कभी भी आपदा की जद में आ सकते हैं, लेकिन इन्हें बचा पाना राज्य सरकार के वश में नहीं है और केंद्र मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है। बिना केंद्र की मदद के इन गांवों का विस्थापन नहीं किया जा सकता। राज्य के पास इतना पैसा नहीं है कि सभी को राहत दी जा सके। बस्तड़ी में आई आपदा के तुरंत बाद सारे रास्ते बंद होने के बावजूद राज्य सरकार के मंत्री भी मौके पर पहुंचे, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक मामले का संज्ञान नहीं लिया, जबकि इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करना चाहिए। आज नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट राज्य सरकार पर आरोप लगा रहे हैं, लेकिन जब राज्य में बड़ी आपदा आई तो वह खुद दिल्ली में केंद्र में जगह तलाश रहे थे।

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इधर, सीएम हरीश रावत आपदा और गांवों को लेकर अपनी सरकार को सबसे ज्यादा संजीदा बता रहे हैं। शुक्रवार को सीएम ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि चमोली और पिथौरागढ़ में जो हालात पैदा हुए उसमें सरकारी विभागों और पुलिस प्रशासन ने सराहनीय कार्य किया। आपदा प्रभावित गांवों में 12 घंटों में बिजली और बाकी जरूरी चीजों को चालू कर दिया गया। सीएम ने कहा कि उनकी सरकार ने अब तक के इतिहास में सबसे पहले आपदा की जद में आए संवेदनशील और अतिसंवेदन गांवों को चिन्हित कर एक डिटेल रिपोर्ट तैयार की है, जिनको जरूरत पड़ने पर सुरक्षित स्थानों में पंहुचाया जाएगा।

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गांवों के लिए बने ठोस नीति-कुंजवाल

विधानसभा के स्पीकर ने गांवों को लेकर भारी चिंता जताई है। उनका कहना है कि गांवों के विकास के बिना किसी भी देश व प्रदेश का सर्वागीण विकास नहीं हो सकता। इसलिए केंद्र व राज्य सरकार को मिलकर गांवों के विकास के लिए ठोस नीति बनानी चाहिए। यह बात विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने विकास खंड लमगड़ा के बक्सवाड़ में क्षेत्रीय सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ताओं व स्थानीय जनप्रतिनिधियों की बैठक में कही। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गांव के विकास के लिए मॉडल स्कूलों, मेरा वृक्ष-मेरा धन आदि योजनाएं संचालित कर रही है।