-राशन धारकों को चीनी के लिए काटने पड़ते हैं चक्कर

-चीनी का उठान हो रहा है लेट

-अभी तक नहीं हुआ चीनी का उठान

DEHRADUN: सूबे की राजधानी दून के अंदर चीनी लेने के लिए राशनकार्ड धारक परेशान रहते हैं। प्रॉपर चीनी का उठान नहीं होने के चलते लोगों को सस्ते गल्ले यानि कि राशन की दुकान के बार-बार चक्कर काटने को मजबूर होना पड़ता है। इसके चलते कई बार तो लोग अपने हिस्से की चीनी लेने से वंचित रह जाते हैं।

दिन की शुरुआत ही चीनी से

जिला आपूर्ति विभाग की ओर से राशन की दुकानों पर उपलब्ध कराए जाने वाले राशन में से जिस चीज का लोगों को खासा इंतजार रहता है, उसमें चीनी भी प्रमुख रूप से शामिल है। लोगों का कहना है कि दिन की शुरुआत ही चाय के साथ होती है और इसीलिए महंगाई के इस दौर में राशन की सस्ती चीनी बड़ी राहत देती है। लेकिन, जब चीनी लेने के लिए बार-बार दुकान के चक्कर काटने होते हैं तो बहुत परेशानी होती है। बाजार में चीनी जहां करीब बत्तीस से लेकर पैंतीस रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से सेल होती है तो वहीं राशन की चीनी का रेट साढ़े तेरह रुपये है।

मिलों से उठान से होती देरी

उधर, जिला आपूर्ति अधिकारी पीएस पांगती का कहना है कि चीनी उठान में देरी मिलों के स्तर से ही होती है। इसी के चलते सरकारी गोदामों में चीनी देरी से आ पाती है। हालांकि ऐसा हर बार नहीं होता है। देरी से उठान होने की वजह से दुकानदारों के पास भी चीनी देरी से पहुंच पाती है। ऐसा नहीं है कि चीनी उपलब्ध हो और दुकानदार जानबूझकर देने में देरी कर रहा हो। उन्होंने कहा कि अगर माल उपलब्ध होने पर भी कोई दुकानदार मना करना है तो इसकी शिकायत उपभोक्ता कर सकता है।

बॉक्स

दून में राशन पर एक नजर

-दून में राशन दुकानों की संख्या करीब 9भ्0.

-सिटी के अंदर राशन की दुकानें करीब फ्00.

-जिले में राशनकार्ड धारकों की संख्या करीब चार लाख।

-शहरी क्षेत्र में रहने वाले राशनकार्ड धारक करीब सवा लाख

-चीनी का बाजार भाव करीब अड़तीस से चालीस रुपये

-राशन की दुकान पर साढ़े तेरह रुपये प्रति किलोग्राम।

-चीनी के साथ-साथ दुकान पर मिलने वाला सामान चावल, गेंहू, और दालें।

वर्जन

राशन की चीनी और बाजार की चीनी के दामों में काफी अंतर है। इसीलिए राशन की चीनी तो चाहिए ही।

उम्मेद

कायदे से तो चीनी के लिए व्यवस्था ठीक होनी चाहिए। बार-बार चक्कर लगाने से परेशानी होती है।

राजेश

राशनकार्ड वालों को समय से चीनी मिलनी चाहिए। एक बार व्यक्ति गेंहू लेने जाए। फिर चावल और चीनी के लिए चक्कर काटे।

गुलाब

चीनी मिलों से चीनी उठान में देरी हो जाती है। इसी वजह से दुकानों पर देरी से आ पाती है। इससे हो सकता है कि लोगों को एक से ज्यादा बार दुकान पर जाना पड़ता हो।

पीएस पांगती, डीएसओ