देश भर से पहुंचे कवि
ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) की राज भाषा विभाग द्वारा नए साल के उपलक्ष में हास्य कवि सम्मेलन आर्गनाइज किया गया। केडीएमआई एएनएम घोष ऑडिटोरियम में आर्गनाइज हुए प्रोग्राम को बतौर चीफ गेस्ट संस्थान के अधिशासी निदेशक केएल मेहरोत्रा ने लैंप लाइटिंग कर इनॉगरेट किया। देशभर के नामी कवियों ने अपनी रचनाओं से दर्शकों को खूब गुदगुदाया। कवियों में ईटारसी से राजेंद्र माल्वीय 'आलसी, मुंबई से डा। मुकेश गौतम, रत्लाम मध्य प्रदेश से धमचक मुल्थानी, कोटा राजस्थान से लक्ष्मी दत्त 'तरुण, अंकोला महाराष्ट्र से घनश्याम अग्रवाल, पानीपत से योगेंद्र मौदगिल, मेरठ से रतन सिंह 'रतन और दून के नफीस उद्दीन कोही जैसे नामी कवि मंच पर मौजूद थे। प्रोग्राम का संचालन दिनेश थपलियाल, उप महाप्रबंधक प्रभारी राजभाषा ने किया। प्रोग्राम के दौरान ओएनजीसी के जीएम एचआर देश दीपक मिश्र ने सभी कवियों को बुके देकर सम्मानित किया। वोट ऑफ थैंक्स कुसुम मीरचंदानी ने दिया।
इन पक्तियों ने खूब बटौरी तालियां
एक कवि और कवियित्री ने शादी रचाई
सुहागरात पर घूंघट उठाते ही दूल्हे ने दुल्हन को छह गजल सुनाई।
फिर दुल्हन ने पांच गीत, चार रूबाई, फिर दुल्हे ने सात गीत सुनाए।
दोनों का कवि सम्मेलन रात भर चलता रहा,
दोनों ने एक दूसरे को खूब दाद दी।
दोनों को सुबह याद आया आज तो सुहागरात थी।
डा। मुकेश गौतम, मुंबई
मै जिंदगी की हकीकत आपको इतनी आसानी से बता नहीं सकता
क्योंकि एक कुंटल का बोरा जो मजदूर अपनी पीठ पर उठाता है
वो उसे कभी खरीद नहीं सकता
और जो खरीद सकता है वो उठा नहीं सकता।
राजेंद्र माल्वीय 'आलसी, ईटारसी
दागी मंत्री घूम रहे हैं रेल में
भ्रष्टाचार मिटाने वाले जा रहे है जेल में
दिल्ली का मौसम प्रतिपल बदल रहा है,
मनमोहन सिंह जी पीए हैं या पीएम पता नहीं चल रहा है।
औरत क्या है? कुवांरा क्या जाने, कब्र की गर्मी तो मुर्दा ही पहचाने।
धमचक मुल्थानी, रत्लाम मध्य प्रदेश
बेताल के इस सवाल पर विक्रम से लेकर अन्ना तक, सभी मौन हैं
जब सारा देश भ्रष्टाचार के खिलाफ है, तब साला भ्रष्टाचार करता कौन है।
घनश्याम अग्रवाल, अंकोला, महाराष्ट्र
पहाड़ों पर जिंदगी वैसे ही होती है पहाड़ सी
और फिर नदियों ने यहां कैसी उखाड़-पछाड़ की।
जिंदगी भर की कमाई से बनाई थी एक झोपड़ी
भीषण लहरों ने मिलकर वो भी उजाड़ दी।
लक्ष्मी दत्त 'तरुण, कोटा, राजस्थान
बुरा वक्त जल्दी आएगा किसे पता था
बहता दरिया थम जाएगा किसे पता था।
राम कथा में काम कथा ही रच डाली
बाबा इतना गिर जाएगा किसे पता था।
योगेंद्र मौदगिल, पानीपत, हरियाणा
शहीदों ने मेरे देश को आजाद कर दिया
मेहनत कशों पे देश को आबाद कर दिया।
बनकर नेता देश की गद्दी पर जो चढ़े
इन ढोंगियों ने देश को बर्बाद कर दिया।
सरदार रतन सिंह 'रतन, मेरठ, उत्तरप्रदेश