- प्रत्येक जिले में बनाए जाएंगे एक-एक संस्कृत ग्राम
- संस्कृत विद्यालय और महाविद्यालयों की अलग नियमावली

देहरादून, ब्यूरो: राज्य के हर जिले में पहले फेज में एक-एक संस्कृत ग्राम बनाए जाएंगे, जहां संस्कृत के शिक्षा और संस्कृत भाषा को आम क्रियाकलापों में शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही शिक्षा मंत्रालय ने राज्य के करीब 5 लाख बच्चों और युवाओं को संस्कृत भाषा में दक्ष करने के लिए विशेष प्रशिक्षण देने की भी कार्ययोजना बनाई है।

कैबिनेट में लाया जाएगा प्रस्ताव
खास बात यह है कि संस्कृत शिक्षा का वर्गीकरण करते हुए विद्यालयों और महाविद्यालयों की पृथक-पृथक नियमावली बनाने का निर्णय लिया है, ताकि संस्कृत विद्यालयों के संचालन में किसी प्रकार की समस्याओं का सामना न करना पड़े। इसके लिये शीघ्र ही प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट में लाया जायेगा। प्रबंधन तंत्र एवं शिक्षक संगठनों द्वारा उठाई गई मांगों का भी विचार करके उनका निस्तारण किया जाएगा। इसके लिए शिक्षक संगठनों की भी राय ली जाएगी। इससे पूर्व भी सरकार ने संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए माकूल प्रयास किए, लेकिन धरातल पर काफी कुछ नहीं उतर पाया है। अब देखना यह होगा कि धामी सरकार में शिक्षा मंत्री बने डॉ ध्.ान सिंह रावत संस्कृत शिक्षा और संस्कृत भाषा को कितनी व्यापकता के साथ आगे बढ़ाकर दावों को हकीकत में बदलेंगे।

संस्कृत शिक्षा का जल्द होगा वर्गीकरण
संस्कृत शिक्षा को और मजबूत बनाने के लिए जल्द संस्कृत शिक्षा का वर्गीकरण किया जाएगा। संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों के लिये अलग-अलग नियमावली तैयार की जाएगी, ताकि संस्कृत शिक्षा के संचालन में विद्यालय और महाविद्यालय स्तर पर आ रही तमाम समस्याओं का निराकरण किया जा सके।

हर जिले में बनेंगे संस्कृत ग्राम
संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकार हर संभव प्रयास करेगी, जिसके तहत प्रत्येक जिले में एक-एक संस्कृत ग्राम बनाये जायेंगे साथ ही सूबे के 5 लाख बच्चों एवं युवाओं को संस्कृत भाषा में दक्ष करने के लिये विशेष प्रशिक्षण दिया जायेगा। शिक्षकों की शासन स्तर की मांगे को जल्द निराकरण किया जाएगा, लेकिन प्रबंध तंत्र से संबंधित मांगों का निराकरण का रास्ता उन्हें स्वयं ढूंढना होगा।

प्री-प्राईमरी में संस्कृत श्लोक शामिल
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी-2020 के तहत प्री-प्राइमरी स्तर पर बाल वाटिकाओं में बच्चों के लिये संस्कृत भाषा के श्लोक संबंधी पाठ्यक्रम में शामिल करने की योजना बनाई है।

राज्य में 90 संस्कृत विद्यालय-महाविद्यालय
राज्य में कुल 90 संस्कृत विद्यालय और महाविद्यालय वर्तमान में संचालित किए जा रहे हैं। इसमें 46 संस्कृत महाविद्यालय है, जबकि उत्तर मध्यमा विद्यालयों की संख्या 43 इसके साथ ही एक पूर्व मध्यमा विद्यालय भी स्थापित किया गया है। राज्य में 6 राजकीय संस्कृत महाविद्यालय विद्यालयों का संचालन भी सरकार की ओर से किया जाएगा।


संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। उत्तराखंड को देवभूमि भी कहा जाता है, इसलिए यहां की भाषा में देवतुल्य संस्कृत भाषा का आम बोलचाल में झलकना जरूरी है। इसके लिए सरकार युद्ध स्तर पर कार्य कर रही है। जल्द ही संस्कृत शिक्षा का वर्गीकरण कर 5 लाख बच्चों-युवाओं को संस्कृत भाषा की ट्रेनिंग की जाएगी।
डॉ। धन सिंह रावत, शिक्षा मंत्री, उत्तराखंड सरकार