-हाईकोर्ट ने दिए तीन हफ्ते में स्पेशल टास्क फोर्स बनाने के निर्देश

-पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को सख्त आदेश

-किसी हालत में न छूटने पाएं नशा तस्करी- कोर्ट

नैनीताल : नशे के कारोबार और इसकी तस्करी को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है और राज्य के डीजीपी को आदेश दिया है कि वे नशा रोकने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करें और इसमें तेज तर्रार पुलिसवालों को ही रखें। कोर्ट का आदेश है कि तीन हफ्तों में टास्क फोर्स गठित कर दी जाए। साथ ही कोर्ट ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को सख्त दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं।

नशा तस्करों की जगह सलाखों में

कोर्ट ने नशीले पदार्थो के उत्पादन, परिवहन और इसकी तस्करी कर बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने तथा स्पेशल टास्क फोर्स का गठन कर मादक पदार्थो की रोकथाम करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि मादक पदार्थो के साथ पकड़े गए आरोपी किसी तरह सलाखों से पीछे से छूटने न पाएं। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की एकल पीठ ने देहरादून में पकड़ी गई ढाई किलो चरस के मामले में सजायाफ्ता की अपील पर सुनवाई करते हुए ये दिशा-निर्देश जारी किए हैं। दरअसल देहरादून निवासी हरिहर राम की अपील पर कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। हरिहर ढाई किलो चरस के साथ पकड़ा गया था। निचली कोर्ट से उसे दस साल कैद व एक लाख जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। एकल पीठ ने निचली कोर्ट का फैसला बरकरार रखा, साथ ही राज्य को व्यसनमुक्त बनाने के दिशा-निर्देश जारी किए।

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डीजीपी को सख्त निर्देश

हाईकोर्ट ने डीजीपी को निर्देश दिया है कि वो कोर्ट के दिशा-निर्देश विभाग के सभी अधीनस्थों को जारी करें। कोर्ट ने पूछा है कि आखिर मादक पदार्थो का स्रोत क्या है, उसके आवागमन के रास्ते और कहां से ये आम आदमी तक कैसे पहुंचता है? कोर्ट ने सचिव गृह को राज्य के नशा प्रभावित जिलों में भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी के अधीन टास्क फोर्स गठित करने को कहा है। साथ ही लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों तथा गवाही से पलटने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए भी कहा है। कोर्ट ने सभी शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों को अपने संस्थान को नशामुक्त करने की जिम्मेदारी सौंपते हुए शिक्षण संस्थानों के आसपास सादी वर्दी में पुलिस कर्मियों की तैनाती करने के निर्देश दिए हैं।