देहरादून ब्यूरो। परिचर्चा के दौरान लोगों ने मास्टर प्लान को लेकर कई सवाल किये। लोगों ने पूछा कि शहर में जब जमीन बची ही नहीं है तो मास्टर प्लान में आज की तुलना में जो चार गुना भवन बनाने का प्रस्ताव किया गया है, वे भवन कहां बनेंगे। मास्टर प्लान के अनुसार 2041 तक दून में 4.37 लाख भवन बनाने का प्रस्ताव है, जबकि फिलहाल शहर में भवनों की संख्या 1.25 लाख बताई जाती है। इस परिस्थिति में शकर के लिए पानी कहां से मिलेगा और ट्रैफिक व्यवस्था कैसे दुरुस्त रहेगी, इस बात को लेकर भी आम नागरिकों ने सवाल किये।

ड्राफ्ट का बताया टोटल गलत
राज्य में पहले चीफ टाउन प्लानर एसी घिल्डियाल ने स्पष्ट तौर पर कहा कि मास्टर प्लान का ड्राफ्ट दून के अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा कि एमडीडीए इससे पहले भी जो मास्टर प्लान बनाये हैं और लागू किये हैं, जो गलत तरीके से लागू किये गये हैं। उनका कहना था कि पिछला मास्टर प्लान एक्ट की धारा 12 के तहत पास किया गया, जबकि यह धारा मास्टर प्लान पास करने की नहीं बल्कि आम लोगों से सुझाव लेने की है। लोगों ने यह भी सवाल उठाये कि जब ड्राफ्ट तैयार कने से कहने आम लोगों के सुझाव नहीं लिये गये, जबकि ड्राफ्ट में साफ तौर पर ऐसा कहा गया है।

500 शहरों के एक साथ मास्टर प्लान
चीफ टाउन प्लानर एसएम श्रीवास्तव में लोगों के सवालों का जवाब देने का प्रयास किया, लेकिन लोग उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुए। श्रीवास्तव का कहना था कि मास्टर प्लान का ड्राफ्ट केवल देहरादून के लिए नहीं बनाया गया है, बल्कि यह केन्द्र सरकार की गाइड लाइंस के अनुसार उत्तराखंड के 7 शहरों से सहित देशभर के 500 शहरों के लिए बनाया गया है। उनका कहना था कि गाइड लाइन में अफोडेंबल हाउस लैंड, मिक्ड लैंड यूज और हाईडेंसिटी की व्यवस्था करने को कहा गया था, इसलिए इन सभी की व्यवस्था की गई है। हालांकि लोगों का कहना है कि देहरादून की भौगोलिक स्थिति अन्य शहरों से अलग है। 500 शहरों की तरह दून का मास्टर प्लान बनाना संभव नहीं है।

फॉल्ट पर भी उठे सवाल
परिचर्चा के दौरान भूकंप फाल्ट को लेकर भी सवाल उठे। मास्टर प्लान के ड्राफ्ट में फॉल्ट का जिक्र किया गया है। लोगों ने पूछा कि राजपुर और सहस्रधारा रोड से फॉल्ट गुजरने की बात कही गई है। ऐसे में इन फॉल्ट पर मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बनाने की इजाजत कौन दे रहा है। चीफ टाउन प्लानर का कहना था कि फॉल्ट की कोई एग्जेक्ट लोकेशन नहीं है और न ही फॉल्ड पर निर्माण को लेकर अब तक कोई पॉलिसी या गाइड लाइंस बनाई गई हैं।

हेरिटेज की अनदेखी
इनटेक के कंवीनर लोकेश ओहरी ने दून में हेरिटेज का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि मास्टर प्लान में एक भी हेरिटेज को चिन्हित नहीं किया गया है। न ही इस बात का कोई जिक्र है कि इन्हें कैसे संरक्षित किया जाए। आर्किटेक्ट भारती जैन ने सुझाव देने के अंतिम तिथि तीन महीने बढ़ाने की सलाह दी। साथ ही यह भी सवाल उठाया कि मास्टर प्लान 2011 की जनसंख्या के आधार पर बनाया गया है, जबकि अब जनसंख्या कई ज्यादा है। लाल बहादुर शास्त्री अकेडमी के पूर्व निदेशक संजीव चोपड़ा और एनटीपीसी के चेयर प्रोफसर एसी चौधरी ने भी मास्टर प्लान के कमियों की ओर इशारा किया। कार्यक्रम की संचालन करते हुए एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल मास्टर प्लान को लेकर स्थिति साफ की और कई सवाल चीफ टाउन प्लानर और अन्य वक्ताओं से पूछे।

मास्टर प्लान पूरी तरह से खानापूर्ति है। इसमें सिटी की बेहतरी का कोई रोडमैप नहीं है। फॉल्ट को लेकर कोई जानकारी नहीं है।
एससी घिल्डियाल,
पूर्व चीफ टाउन प्लानर

दून हेरिटेज का शहर है, लेकिन हेरिटेज के संरक्षण को लेकर इसमें कोई प्रावधान नहीं है। किसी हेरिटेज का चिन्हीकरण भी नहीं है।
लोकेश ओहरी
कंवीनर इनटेक

मास्टर प्लान में बहुत सारी गड़बडिय़ां हैं। उदाहरण देखें तो एक पेज में दून के पॉपुलेशन 3 लाख बताई गई तो दूसरे में 9 लाख। ऐसे में कैसे मास्टर प्लान पर धरातल पर उतरेगा।
अनूूप नौटियाल, अध्यक्ष
एसडीसी फाउंडेशन

मास्टर प्लान का आधार 2011 को सेंसेस है। इन 12 वर्षों में दून में पॉपुलेशन में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसे में इस मास्टर प्लान का कोई मतलब नहीं रह जाता।
भारती जैन, आर्किटेक्ट