भ्रष्टाचार मुक्त शासन के लिए ट्रांसफर पॉलिसी पर टिकी सबकी निगाहें

प्रदेश में खंडूड़ी सरकार में लागू हुआ था तबादला एक्ट

DEHRADUN:

सूबे की टीएसआर सरकार ने जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का वादा किया है। जिससे प्रदेश में एक बार फिर लोकायुक्त के साथ-साथ तबादला एक्ट की मांग तेज हो गई है। आपको बता दें कि खंडूड़ी सरकार में लोकायुक्त के अलावा तबादला एक्ट भी लागू किया गया था। जिसे भ्रष्टाचार पर रोक लगाने में प्रभावी कदम माना गया। लेकिन सरकार बदलते ही इन सभी फैसलों को बदल दिया गया और अब एक बार फिर बीजेपी की सरकार आते ही लोकायुक्त और ट्रांसफर पॉलिसी लागू करने की बात की जा रही है।

कानूनी कार्यवाही का था प्रावधान

उत्तराखंड के क्म् साल के इतिहास में पहाड़ों से पलायन सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। पलायन के लिए प्रदेश की ट्रांसफर पॉलिसी को भी जिम्मेदार रही है। दरअसल सूबे में मनपसंद जगहों पर ट्रांसफर पाने के लिए जोड़-तोड़ आम बात है। जिससे कई सालों तक मैदानी सुगम क्षेत्रों में पोस्टिंग लेकर कर्मचारी डटे रहते हैं। पूर्ववर्ती खंडूड़ी सरकार ने तबादला नीति लाकर इसे तबादला एक्ट के रुप में लागू कर दिया था। जिससे सुगम, दुर्गम, अति दुर्गम क्षेत्रों में स्थान चिन्हित कर ट्रांसफर किए जाने का प्रावधान किया गया था। इतना ही नहीं पहली बार इस तरह से तबादला एक्ट बनाकर विभागीय कार्यो में कानूनी कार्यवाही का भी अधिकार दिया गया। लेकिन खंडूड़ी सरकार द्वारा एक्ट बनाकर लागू करने के बाद सरकार बदलते ही तत्कालीन विजय बहुगुणा ने रोक लगा दी थी। जिसके बाद एक बार फिर ट्रांसफर पॉलिसी को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

कैसे होगी पॉलिसी अभी तय नहीं

प्रदेश में बीजेपी की सरकार आते ही एक बार फिर पूर्ववर्ती खंडूड़ी सरकार के लोकायुक्त और ट्रांसफर पॉलिसी को लागू करने की बात कही जा रही है। जिससे एक बार फिर प्रदेश में तबादला एक्ट को लागू करने की मांग भी उठने लगी है। हालांकि शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कामकाज संभालते ही साफ किया कि ट्रांसफर में चलने वाले खेल अब नहीं चलेंगे। लेकिन तबादला नीति किस तरह की होगी। ये साफ नहीं है। शिक्षा मंत्री ने जल्द ही अधिकारियों से बैठक कर पॉलिसी तैयार करने की बात कही है। सीएम त्रिवेंद्र रावत ने भी ट्रांसफर पॉलिसी में पारदर्शिता लाने की बात कही है।