- प्राइवेट के मुकाबले निगम की बसों में 10 प्रतिशत अधिक किराया

-अब आईटी टैक्स लगने से और अधिक बढ़ जाएगा किराया

DEHRADUN: परिवहन निगम की बसों में प्राइवेट बस ऑपरेटर्स की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक किराया लिया जा रहा है। जबकि दोनों एक ही रूट पर चल रही हैं। देहरादून से पर्वतीय मार्गो पर चलने वाली सर्विस बसों के किराए में काफी अंतर है। ऊपर से अब आईटी टैक्स के नाम पर दो से पांच रुपए किराए के रूप में बढ़ाए जा रहे हैं। परिवहन निगम की बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव को बाकायदा हरी झंडी भी मिल चुकी है। परिवहन निगम की बसें उत्तराखंड में परिवहन का सबसे मजबूत और बड़ा साधन है। जहां हर रोज हजारों यात्री सफर करते हैं। ऐसे में हजारों यात्रियों की जेब पर दोहरा बोझ पड़ना तय माना जा रहा है।

निगम को घाटा, प्राइवेट को नही

परिवहन निगम हर साल पहाड़ी मार्गो पर बसों के संचालन पर करोड़ों रुपए का घाटा बताता आ रहा है। फ्यूल और बसों की मेंटेनेंस के नाम पर यह घाटा बताया जाता है, लेकिन प्राइवेट बसें भी इन्हीं रूटों पर उतने ही किलोमीटर तय करती है, जितनी परिवहन निगम की बसें तय करती हैं। प्राइवेट ऑपरेटर बाहर के फ्यूल पंप से डीजल भरते हैं। जबकि परिवहन निगम की बसे वर्कशॉप में अपने फ्यूल पंप से डीजल भरते हैं। एक मुश्त डीजल खरीद पर परिवहन निगम को सब्सिडी भी मिलती है। पहाड़ी मार्गो पर हर साल बसों के संचालन के लिए प्रदेश सरकार भी आर्थिक तौर पर परिवहन निगम की मदद करती है।

प्राइवेट और यूटीसी की बस का दून से किराया

स्थान यूटीसी प्राइवेट

जोशीमठ 459 400

चंबा 160 140

न्यू टिहरी 177 150

बी पुरम 196 170

रुद्रप्रयाग 278 240

श्रीनगर 223 190

कर्णप्रयाग 330 280

चमोली 380 330

घनसाली 265 230

जाखणीधार 248 200

उत्तरकाशी 251 200

(नोट- लिस्ट में यूटीसी की बसों के किराए में अभी आईटी टैक्स शामिल नहीं है.)

सीएम के पास है परिवहन विभाग

परिवहन मंत्री न होने के चलते प्रदेश में अभी तक परिवहन महकमा स्वयं सीएम हरीश रावत ही संभाल रहे हैं। ऐसे में प्रदेश के हजारों लोग जो सीधे तौर पर निगम की बसों में यात्रा करते हैं, वह अप्रत्यक्ष तौर पर सीएम से जुड़े हैं। ऐसे में किराए बढ़ाए जाने का फैसला सरकार पर भारी पड़ सकता है। क्योंकि विधानसभा चुनाव होने में अब कुछ ही महीने शेष हैं।