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नदियों के मुहाने पर बोई गई सब्जियों की फसल बर्बाद

देरी से बोई फसलों के आने के बाद ही दाम में सुधार होने की उम्मीद

ROORKEE:बारिश से नदियों के मुहाने पर बोई गई सब्जियों की फसल बर्बाद हो गई है। इसके चलते मंडियों में भी सब्जियों का उत्पादन कम हुआ है। अब देरी से बोई फसलों के आने के बाद ही सब्जियों की आवक और दाम में सुधार होने की उम्मीद है।

महंगा होने की वजह इनकी आवक में कमी

उपभोक्ता सब्जियों के दाम को सुनकर चौंक जा रहे हैं। ख्0 रुपये प्रति किलो की दर से बिकने वाले टमाटर के दाम सीधे भ्0 से म्0 रुपये पर पहुंच गये हैं। इसी तरह से क्0 रुपये किलो बिक रही लौकी फ्0 रुपये किलो पर पहुंच गई है। ¨भडी से लेकर सबकुछ महंगा हो चला है। सब्जियों के महंगा होने की वजह इनकी आवक में कमी बताया जा रहा है। अकेले हरिद्वार जिले में करीब ढाई सौ हेक्टेयर भूमि जो कि सोलानी, रतमऊ नदी के किनारे पर है, उस पर खड़ी फसल बर्बाद हो गई है। सबसे अधिक नुकसान टमाटर, लौकी और ¨भडी की फसल को पहुंचा है। किसानों की ओर से मई के दूसरे सप्ताह में बोई गई फसल के जून माह के अंत तक ही तैयार होने की उम्मीद है। ऐसे में अभी लोगों को महंगी सब्जी खानी पड़ेगी। मंडी निरीक्षक रुड़की सुबोध कुमार की मानें तो अगले सप्ताह से पर्वतीय जनपदों से टमाटर की आवक शुरू हो जाएगी। इसके बाद टमाटर के दाम में कमी आने की उम्मीद है।

सब्जी क्0 जून की आवक क्8 जून की आवक

टमाटर 90 भ्0

लौकी क्00 फ्0

¨भडी 70 ख्भ्

बैंगन ब्0 क्भ्

¨टडा भ्0 क्फ्

खीरा क्भ्0 70

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नोट : आवक प्रति कुंतल में

इस समय अधिकांश फसल फ्लाव¨रग वाली होती है। ऐसे में तेज बारिश के कारण फ्लाव¨रग के गिरने से उत्पादन पर असर पड़ता है लेकिन यह असर सप्ताह या दो सप्ताह का ही होता है। यदि मौसम अनुकूल होता है तो उत्पादन बढ़ जाता है। नदी किनारे बोई जाने वाली फसलों का विभाग के पास कोई रेकार्ड भी नहीं होता है। अमूमन सर्दियों में नदियों के किनारे खाली पड़ी जमीन पर ककड़ी, खीरा, तरबूज, इसके बाद ¨भडी, लौकी, कद्दू, टमाटर आदि की खेती की जाती है।

हितपाल सिंह, चौधरी जिला उद्यान अधिकारी