देहरादून(ब्यूरो) दून में शायद ही यमुना कॉलोनी के बारे में कोई जानता हो। जी हां, यही है मंत्री आवास वाली कॉलोनी। लेकिन, अब इस कॉलोनी में तीन ऐसे बंगले हैं, जहां कभी खूब चहलकदमी हुआ करती थी। मंत्रियों से मिलने वालों का तांता लगा रहता था। लंबी गाडिय़ों की कतारें नजर आती थीं। बंगले में प्रवेश करने से पहले गेट पर सुरक्षा तंत्र जांच-पड़ताल करता था। लेकिन, अब ये गुजरे जमाने की बात हो गई है। इन कोठियों की हकीकत ये हैं कि यहां न संतरी नजर आते हैं और न ही कोई चहलकदमी। बस, यहां तो बंगलों के बीचोंबीच बड़े-बड़े पेड़ उग आए हैं। घास-फूस की झाडिय़ां ही झाडियां दिखती हैं। जबकि, ये वही मंत्री आवास हैं, जिनको तैयार करने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपए पानी के तरह बहाए थे।

राज्य गठन के बाद बने थे मंत्री आवास
9 नवंबर 2000 को जब उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ। उसके बाद प्रिंस चौक के पास स्थित द्रोण होटल को तात्कालिक व्यवस्था के लिए विधायक आवास के तौर पर चुना गया। लेकिन, मंत्रियों के आवास के लिए यमुना कॉलोनी को चुना गया। हालांकि, यमुना कॉलोनी में आवास छोटे थे। जिनको राज्य संपत्ति विभाग की ओर से बड़ा किया गया। तब से लेकर अब तक मंत्रियों, नेता प्रतिपक्ष और स्पीकर व डिप्टी स्पीकर के आवास यहीं मौजूद हैं। लेकिन, कुछ वर्षों पहले नए नियम के तहत केंद्र से लेकर राज्यों में मंत्रिमंडल का दायरा छोटा कर दिया गया। जिसका असर उत्तराखंड पर भी दिखा। उसके बाद कई मंत्री आवास खाली हो गए। उन्होंने अपने आवास छोड़ दिए।

किशोर, धनै के थे कभी ये आवास
सरकार ने इन आवासों को सभा सचिव बनाए गए विधायकों को अलॉट कर दिया। लेकिन, बाद में कोर्ट ने सभा सचिवों के पद भी खारिज कर दिए। तब से लेकर अब तक कुछ आवास खाली पड़े हुए हैं। जाहिर है इन खाली पड़े आवासों की ओर सरकार की अब तक नजर नहीं पहुंची। अब ये बंजर हो चुके हैं। ये वही आवास हैं, जो कभी पूर्व मंत्री किशोर उपाध्याय, दिनेश धनै आदि को अलॉट किए गए थे।

अभी भी ठीक हैं आवास
राज्य संपत्ति विभाग का इन कोठियों के बारे में कहना है कि सभी आवास ठीक हैं। जब, नए मंत्री आएंगे, उनको तैयार कर लिया जाएगा। राज्य संपत्ति अधिकारी का कहना है कि एक आवास को नेता प्रतिपक्ष करन माहरा को आवंटित किया गया है। जबकि, दूसरे बंगले में मंत्रियों के आवास का स्टोर बनाया गया है।

चोरी भी हो चुकी बंगलों में
2015 के दौरान इन बंगलों से चोरी के मामले सामने आए, जिसके बाद राज्य संपत्ति विभाग की ओर से बिंदाल चौकी पुलिस में शिकायत भी दर्ज की गई। अब राज्य संपत्ति का कहना है कि उस समय हुई चोरी के सामान की रिकवरी हो गई है।

इसलिए बनी थी यमुना कॉलोनी
अविभाजित यूपी के दौरान गंगा और यमुना घाटी के टिहरी बांध, लखवाड़, व्यासी, किशाऊ, मनेरी भाली, विष्णुप्रयाग, चीला जैसी जल विद्युत परियोजनाओं के सर्वेक्षण व नियोजन के लिए यहां मुख्य अभियंता, मंडलीय के साथ खंड कार्यालय स्थापित किए गए थे। इसके अलावा तत्कालीन यूपी स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (वर्तमान में उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड) के कार्यालय और आवास भी यहां स्थापित किए गए थे।

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