साल 2050 में प्रति व्यक्ति पानी घट कर रह जाएगा 3120 लीटर

भारत में जलसंकट तेजी से बढ़ रहा है। हालात ये हैं कि अगर ये संकट यूं ही रहा तो 2050 तक भारत को पानी आयात करना पड़ेगा। पानी की उपलब्धता को लेकर किए गए सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक 2050 तक प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 3120 लीटर हो जाएगी जिससे भारी जलसंकट खड़ा हो जाएगा।

1991 में प्रतिव्यक्ति पानी था 14180 लीटर

2001 के आंकड़ों के मुताबिक जमीन के भीतर प्रति व्यक्ति 5,120 लीटर पानी बचा है, जो कि साल 1951 में 14,180 लीटर हुआ करता था। 2001 में 1951 के मुकाबले आधा पानी रह गया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2025 तक पानी की उपलब्धता 25 फीसदी ही रह जाएगी। केंद्रीय भूजल बोर्ड के आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है।

अभी नहीं संभले तो बूंद बूंद पानी के लिए तड़पेंगे लोग

2050 तक पानी की उपलब्धता घटकर 22 फीसदी रह जाएगी। केन्द्रीय भूजल बोर्ड ने भूमिगत जल को रिचार्ज करने की एक कृत्रिम योजना भी बनाई है ताकि इस परेशानी से निपटा जा सके। विशेषज्ञों का कहना है कि जमीन की भीतर जाते पानी को बचाने के लिए जल संरक्षण करने की जरूरत है और इसके लिए बारिश के पानी को तालाबों, नहरों कुओं में संचित करना जरूरी है और साथ ही साथ लोगों को जल संरक्षण के लिए शिक्षित करने और उन्हें प्रेरित करने की जरूरत है।

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