चंडीगढ़ (आईएएनएस)। पंजाब में कोरोना वायरस से संक्रमित और संदिग्ध लोगों के दाह संस्कार के लिए उनके घर वाले तक आगे नहीं आ रहे। ऐसे में यहां सरकारी अधिकारियों को अंतिम संस्कार करना पड़ रहा। राज्य में अभी तक कुल 79 कोरोना पेशेंट सामने आए, जिसमें से सात की मौत हो गई। इनमें तीन के घरवालों ने दाह संस्कार से मना कर दिया। ताजा मामला 5 अप्रैल का है, लुधियाना शहर में अधिकारियों द्वारा एक महिला का अंतिम संस्कार किया गया। परिवार ने वायरस के संचरण के डर से शरीर का दाह संस्कार करने से इनकार कर दिया। एक अन्य मामले में, अंतिम संस्कार राजस्व कर्मचारियों द्वारा किया गया था।

बेटे-बेटियों ने भी दूरी बना ली

अमृतसर जिले में पिछले दिनों एक तीसरी घटना हुई जहां लोगों ने स्वर्ण मंदिर के पूर्व हजूरी रागी पद्म श्री निर्मल सिंह खालसा का दाह संस्कार करने के लिए अपने गाँव में जगह नहीं दी। सबसे बड़ी मुसीबत तो ये है कि, मृतक के बेटे-बेटियों ने भी दूरी बना ली है। वो भी श्मशान घाट पर मृत शरीर को छूने से मना कर रहे। विशेष प्रमुख सचिव के.बी.एस. सिद्धू, जो राज्यव्यापी निगरानी के प्रभारी हैं, उन्होंने ट्वीट कर सूचित किया। वह लिखते हैं, 'यहाँ राजस्व तहसीलदार और नायब तहसीलदार आगे आकर इन कामों को पूरा कर रहे। हमें इन अधिकारियों को पहचानने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।'

गांव वाले भी नहीं आए आगे

सिद्धू ने एक और केस का जिक्र करते हुए कहा कि, 29 मार्च को मोरनवाली में कोविद -19 से हरभजन सिंह की मृत्यु हो गई थी। उनका पूरा परिवार आइसोलेशन वार्ड में था। ऐसे में उनके अंतिम संस्कार करने में गाँव से कोई भी आगे नहीं आया। इसके बाद पटवारी जगीर सिंह मोरनवाली को श्मशान की व्यवस्था का काम सौंपा गया था। उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के अपना कर्तव्य निभाया।

घाट से 100 मी दूर खड़े होते

ताजा मामला 69 साल की सुरिंदर कौर से जुड़ा है, जिनकी पांच अप्रैल को कोरोना के चलते मौत हो गई थी। उनके घरवालों ने सुरिंदर का दाह संस्कार करने से मना कर दिया। यही नहीं घरवालों का कहना था कि, ये जिम्मेदारी प्रशासन की है इसलिए वो करे। एडिशनल डिप्टी कमिश्नर इकबाल सिंह संधू कहते हैं, 'उनका परिवार श्मशान घाट तक पहुंचा था, मगर वो चिता से 100 मी दूर अपनी कार में बैठे थे। सुरिंदर का अंंतिम संस्कार ड्यूटी मजिस्ट्रेट जसबीर सिंह ने किया।

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