भाजपा और केंद्र सरकार की विपक्ष के लगातार विरोध का अब करारा जवाब देने की रणनीति है। ललितगेट पर विवादों में घिरीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भाजपा नेतृत्व और सांसदों को आश्वस्त किया कि उनके तरकश में कई तीर हैं। चर्चा हुई तो विपक्ष को छिपने की जगह नहीं मिलेगी। इसी के तहत उन्होंने जानकारी दी कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कई बार अपनी ही पार्टी के नेता और कोयला घोटाले में अभियुक्त संतोष बागरोडिया के लिए राजनयिक पासपोर्ट की पैरवी करते रहे हैं। इसके बाद उनका यह कहना भर था कि बाहर कांग्रेस की रणनीति बदलती देखी गई। संसदीय दल की बैठक में बुधवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज मुख्य भूमिका में थीं। लगभग 20 मिनट के भाषण में उन्होंने व्यापम व ललितगेट पर अपनी बात रखी और कहा कि दोनों मामलों में भाजपा का कोई नेता कानूनी, नैतिक या तकनीकी रूप से गलत नहीं है। सुषमा ने कहा, ‘सदन में चर्चा होगी तो वहां कांग्रेस के उस नेता का नाम भी बताऊंगी जिन्होंने बागरोडिया के लिए पैरवी की थी। चर्चा तो होने दीजिए, विपक्ष को चीर दूंगी।’

 

उल्लेखनीय है कि संतोष बागरोडिया पूर्व कोयला राज्यमंत्री हैं जिन्हें विगत मंगलवार को कोयला घोटाले में एक विशेष अदालत ने समन भेजा है। उन पर महाराष्ट्र के बांदर कोयला ब्लाक को एएमआर आयरन और स्टील प्राइवेट लिमिटेड को गलत तरह से देने का आरोप है।

शाह और जेटली का मिला सर्पोट

सुषमा की इस बात को वित्तमंत्री अरुण जेटली और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का भी समर्थन मिला। अमित शाह और अरुण जेटली ने सांसदों से कहा कि किसी भी बात पर झुकने की जरूरत नहीं है। हम सही हैं और सिर ऊंचा कर विपक्ष को जवाब देने का नैतिक बल भी रखते हैं। इस बैठक के बाद ही बदली कांग्रेस की रणनीति ने पार्टी का जोश थोड़ा और बढ़ा दिया है।

इस बीच भाजपा ने कांग्रेस नेता हरीश रावत पर एक स्टिंग का वीडियो भी रिलीज करके सनसनी फला दी है और विपक्ष को पूरी तरह से दवाब में लेने की कोशिश की है। पर सवाल ये है कि क्या ये माना जाए कि क्योंकी सत्ता और विपक्ष दोनों ही में गलत लोग हैं तो अब मुद्दे उठाना और उन पर बहस करना बंद कर देना चाहिए।

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