- इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के एंटी रैगिंग सेल में पेंडिंग पड़े है कई मामले

- एक साल में सिर्फ दो मामलों में ही यूनिवर्सिटी ने की है कार्रवाई

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PRAYAGRAJ: कालेजों और यूनिवर्सिटी से लेकर सभी एजूकेशन इंस्टीट्यूशंस में रैगिंग रोकने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे है। इसके लिए एमएचआरडी की ओर कई बार सख्त गाइड लाइन भी जारी होती रहती है। इतना ही नहीं लगभग सभी यूनिवर्सिटी में एंटी रैगिंग सेल भी गठित किया गया है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में भी एंटी रैगिंग सेल का गठन भले ही हुआ है, लेकिन उसकी वर्किंग की स्पीड कछुवा की चाल से चल रही है। यह हम नहीं, बल्कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के एंटी रैगिंग सेल की तरफ से की जाने वाली कार्रवाई की संख्या बता रही है। पिछले एक साल से अब तक यूनिवर्सिटी की एंटी रैगिंग सेल ने रैगिंग के मामले में सिर्फ दो शिकायतों पर ही कार्रवाई की है। ऐसे में रैगिंग को रोकने में यूनिवर्सिटी को एंटी रैगिंग सेल कितना प्रभावी है, इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है।

जांच के नाम पर पेंडिंग है कई शिकायतें

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में एंटी रैगिंग सेल के पास इस वर्ष भी कई शिकायतें आयी है। इनमें से एंटी रैगिंग सेल कई मामले में आपसी सहमति से सुलह करा चुका है, जबकि कई मामले जांच के नाम पर ही पेंडिंग हुए है। इस बारे में हिन्दी डिपार्टमेंट के उपप्राचार्य व सहायक कुलानुशासक डॉ। राकेश सिंह ने बताया कि रैगिंग के अन्तर्गत आए मामलों में कई मामले बीए थर्ड इयर के स्टूडेंट्स हुए विवाद को लेकर था, लेकिन कुछ मामले वास्तव में रैगिंग सामने आये थे। उन मामलों में अभी जांच चल रही है। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद मामला एंटी रैगिंग की कमेटी के सामने जाएगा। जिसमें आरोपी स्टूडेंट्स के खिलाफ कार्रवाई होगी। लास्ट इयर से लेकर अभी तक दो मामलों में कार्रवाई हुई है। जिसमें आरोपी छात्रों के खिलाफ हमेशा के लिए हॉस्टल से निष्कासन व यूनिवर्सिटी से एक साल के लिए निष्कासन की कार्रवाई की गई है।

कुलपति की अध्यक्षता में बनी है कमेटी

सहायक कुलानुशासक डा। राकेश सिंह ने बताया कि यूनिवर्सिटी में कुलपति की अध्यक्षता में 17 मेंबर्स की एंटी रैगिंग कमेटी का गठन किया गया है। जिसमें एडीएम सिटी, एसपी सिटी, एसपी क्राइम के साथ ही छात्र प्रतिनिधि व अन्य लोग शामिल है। एसपी क्राइम को नोडल अधिकारी बनाया गया है। किसी भी मामले में एंटी रैगिंग पोर्टल पर होने वाली शिकायत की जांच के लिए चार उप समितियां बनायी गई है। जो मामले की जांच करके अपनी रिपोर्ट कमेटी को सौंपती है, उसके बाद कमेटी की मीटिंग रैगिंग करने वाले आरोपी छात्र के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।

इन दो मामलों में हुई है कार्रवाई

केस 1- 22 सितंबर 2018 केस नम्बर एआरसीसी / यूपी - 4812

हिन्दू हॉस्टल के कुछ स्टूडेंट्स ने एंटी पोर्टल पर शिकायत की, जिसमें स्टूडेंट्स ने बताया कि अमित सिंह, दिवाकर, शशांक, आशुतोष के नाम चारों स्टूडेंट्स ने जूनियर स्टूडेंट्स के साथ अभद्रता करते हुए उनसे रैगिंग की। मामले की जांच के दौरान पता चला कि चारों आरोपी युवक यूनिवर्सिटी के छात्र नहीं है और ना ही हॉस्टल में रहने वाले है। ऐसे में आरोपी युवकों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया।

केस 2- 18 अगस्त 2019 केस नम्बर एआरसीसी / 5635 सर सुंदर लाल हॉस्टल में बीए थर्ड व सकेंड इयर के स्टूडेंट्स आदित्य सिंह, विशाल यादव, निलेश कुमार अग्रहरी, आनंद कौशल सिंह, उत्तम त्रिपाठी, अवनीश यादव, संजय पाल द्वारा जूनियर छात्रों के साथ रैगिंग की गई। जिसकी जांच के बाद आरोप सही पाए गए। ऐसे में एंटी रैगिंग एक्ट के अन्तर्गत सामूहिक दंड का प्रावधान के अनुसार छात्रावास से हमेशा के लिए निष्कासन के साथ ही यूनिवर्सिटी से एक साल के लिए निकाले जाने की कार्रवाई की गई।

- इस वर्ष के कुछ मामलों में अभी जांच रिपोर्ट नही आयी है। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

डॉ। राकेश सिंह

उप कुलानुशासक