एआरटी बरेली की रंग लाई मुहिम, चार एचआईवी पीडि़तों ने की शादी

एचआईवी पीडि़तों के बच्चों के इंग्लिश मीडियम स्कूल्स में होंगे एडमिशन

BAREILLY :

एआरटी बरेली की पिछले डेढ़ साल की मेहनत ने 4 एचआईवी पीडि़तों को एक-दूजे का हमसफर बनने का ख्वाब सच कर दिखाया है। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल स्थित एआरटी बरेली की इस पहल ने प्रदेश भर में एचआईवी पीडि़तों को समाज की मुख्य धारा में शामिल कराने की उम्मीदों को हौसला दिया है एआरटी बरेली की इस मुहिम में सामाजिक संस्था ने भी बखूबी साथ निभाया। एनजीओ और एआरटी की रेगुलर काउंसलिंग और मोटिवेशन ने चारों एचआईवी पीडि़तों को शादी के बंधन में बंधकर सामान्य जिंदगी जीने की राह आसान की।

खाद्य सामग्री बांटी

ट्यूजडे को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के एआरटी सेंटर पर पैरोकारी सभा का आयोजन सेंटर और सीएससी विहान की ओर से किया गया। सीएससी के माध्यम से अलका वर्मा और अभिषेक कश्यप मुख्य भंडार सामग्री अधीक्षक भारतीय रेल ने 10 निर्धन महिलाओं के लिए खाद्य सामग्री की व्यवस्था की। वहीं एआरटी सेंटर के डाटा मैनेजर मनोज वर्मा ने बताया कि मई में बरेली निवासी एचआईवी युवक व लखनऊ की युवती ने परिवार की रजामंदी के बाद शादी की है। वहीं दूसरे केस में मुजफ्फरनगर निवासी व सरकारी जॉब करने वाली युवती की अलीगढ़ निवासी व बिजनेसमैन युवक से जून में शादी हुई है।

19 बच्चे हुए चिह्नित

डाटा मैनेजर ने बताया कि एआरटी और सीएससी के सहयोग से उन पेरेंट्स के बच्चों का एडमिशन इंग्लिश मीडियम स्कूल में कराया जाएगा। साथ ही प्रयास किया जाएगा कि राइट टू एजुकेशन के तहत इन बच्चों को 12वीं तक निशुल्क में शिक्षा मिले। उन्होंने बताया कि सेंटर ने 19 बच्चों को चिहिन्त भी कर लिया है। इस कवायद के लिए डीएम व बेसिक शिक्षा अधिकारी को लेटर भेजकर मदद मांगी गई है।

इलाज के लिए इंतजार नहीं

डाटा मैनेजर ने बताया कि नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन, नाको की नई गाइडलाइन के मुताबिक एचआईवी पॉजिटीव मरीजों को इलाज के लिए 6 महीने तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। बगैर सीडी-4 काउंट के रिजल्ट के ही ऐसे मरीजों को भी एआरटी पर इलाज मिलना शुरू होगा। इसका लाभ उन मरीजों को मिलेगा, जो दूर-दराज क्षेत्रों से आते हैं। लेकिन, सीडी-4 काउंट नहीं होने के कारण इलाज नहीं मिल पाता है।

------------------------------