-सामान्य सभा की बैठक में हुआ विचार-विमर्श के बाद निर्णय

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PRAYAGRAJ: इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं संघटक महाविद्यालय शिक्षक संघ (ऑक्टा) सामान्य सभा की बैठक बुधवार को चौधरी महावीर प्रसाद महाविद्यालय में आक्टा अध्यक्ष डॉ. एसपी सिंह की अध्यक्षता में हुई. कार्यकारिणी में पास हुए प्रस्ताव को महासचिव डॉ. उमेश प्रताप सिंह ने सभा के समक्ष रखा. इसमें सबसे विवादित मुद्दा महाविद्यालय इकाई और आक्टा कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के लिए चुनाव लड़ने की अर्हता का निर्धारण था. आमंत्रित सदस्य डॉ. प्रचेतस ने आपत्ति करते हुए कहा कि नए सदस्यों के चुनाव लड़ने पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए. डॉ. केएन सिंह ने इस पर कहा सदस्यों को कुछ अनुभव आवश्यक है और वह सदन में अपनी बातों को रखें. लेकिन सबसे पहले वे सदस्य तो बनें.

गुप्त मतदान से सुलझा मसला

अंतत: कई सदस्यों के बीच मतभेद को देखते हुए गुप्त मतदान से निर्णय हुआ और कार्यकारिणी के पूर्व में पारित प्रस्ताव पर मतदान हुआ और प्रस्ताव पास हो गया. बैठक में पीएचडी इंक्रीमेंट का निर्धारण, रुके हुए एरियर, छूटे हुए महाविद्यालयों और विषयों में शोध कराने की अनुमति, 16 शिक्षकों की प्रोन्नति में पीएचडी का लाभ न मिलने, महाविद्यालयों में कैश के तहत प्रोफेसर पद पर पदोन्नति आदि के संदर्भ में महासचिव ने सदस्यों को जानकारी दी. यह कहा कि कुलपति ने आश्वस्त किया है कि इन सभी समस्याओं का हल बहुत जल्द सामने होगा. डॉ. आरपी सिंह ने विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में अर्न लीव के इनकैसमेंट का मुद्दा उठाया. तय हुआ कि इसके लिए कुलपति और वित्त अधिकारी को पत्र लिखकर इसे जल्द से जल्द लागू करने के लिए कहा जाएगा.

प्राचार्य ने भरवाया गलत फार्म

डॉ. आरपी सिंह ने सेवानिवृत्त शिक्षकों की सदस्यता और वोटिंग अधिकार का भी मुद्दा उठाया. जिसपर महासचिव ने कहा कि सभी सेवानिवृत्त शिक्षक हमारे सम्मानित सदस्य बने रहेंगे. सिर्फ मतदान का अधिकार सेवानिवृत्त के बाद नहीं मिलेगा. डॉ. उमेश ने सदस्यों को बताया कि एसपीएम महाविद्यालय में प्राचार्य द्वारा सदस्यों से जो एपीआर फार्म भराया जा रहा था. उस संदर्भ में रजिस्ट्रार और डीन सीडीसी से बात हुई. उन्होंने उस फार्म को गलत बताते हुए कहा है कि सभी महाविद्यालयों के लिए यूजीसी के अनुरूप एक ही फार्म होना चाहिए.