PATNA : स्वास्थ्य विभाग के खोजी दल प्रदेश के ग्रामीण एवं सुदूर इलाकों में घर- घर जाकर कुष्ठ रोगियों की पहचान की जाएगी। दल में एक आशा और एक पुरुष कार्यकर्ता शामिल होंगे। प्रदेश के चौदह जिलों में भ्7,भ्7म् खोजी दल कुष्ठ रोगियों को चिह्नित करने में लगे हुए हैं। इसकी निगरानी करीब तीन हजार पर्यवेक्षक कर रहे हैं।

विश्व के अधिकांश देशों के मानचित्र से कुष्ठ का नामोनिशान मिट चुका है, मगर भारत में अभी भी बीमारी समस्या बनी हुई है। देश में सबसे अधिक कुष्ठ रोगी बिहार में हैं। वर्ष ख्00भ् में राष्ट्रीयस्तर पर कुष्ठ रोग के प्रसार दर को कम करने का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया। राष्ट्रीय स्तर पर दस हजार की आबादी पर एक कुष्ठ रोगी हैं। वहीं बिहार में पीडि़तों की संख्या क्म्.ख्भ् फीसदी है। सबसे ज्यादा परेशानी की बात यह है कि पुराने मरीजों का इलाज होने के बाद भी प्रत्येक साल बड़ी संख्या में नए मरीज सामने आ जाते हैं।

कुरीतियां हैं इलाज में बाधक

कुष्ठ रोग कोई लाइलाज बीमारी नहीं है और समय पर दवा से बीमारी ठीक हो जाती है। इसके बावजूद रोग के प्रति समाज में व्याप्त भ्रांतियों के कारण मरीज बीमारी को बताने में संकोच करता है। इससे बीमारी गंभीर हो जाती है और मरीज रोग के ग्रेड दो की चपेट में आकर विकलांग हो जाता है।

इलाज न कराना दूसरे के लिए घातक

पीडि़त इलाज नहीं कराकर खुद के साथ आसपास के लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं। कुष्ठ का संक्रमण दूसरे रोग की तरह तेजी से नहीं फैलता है, इसकी गति काफी मंद होती है और दो से पांच साल के बाद ही बीमारी के लक्षण सामने आते हैं।

संपूर्ण उन्मूलन को नई पहल

स्वास्थ्य विभाग ने बीमारी को जड़ से समाप्त करने के लिए खोजी दल को लगाने का फैसला किया। एक दल में आशा और एक पुरुष स्वयंसेवक होंगे, जो घर- घर जाकर रोगी को चिह्नित करेंगे। ये लक्षण के आधार पर मरीज को दवा देंगे।