पटना (ब्यूरो)। सड़कों पर नियम विरुद्ध वाहन स्कूल के बच्चों को लेकर धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं। इसे लेकर न तो स्कूल प्रबंधन गंभीर नजर आ रहा है और न ही अभिभावक। ऐसे में इन वाहनों पर सवार होकर भविष्य संवारने जा रहे नौनिहाल कब किसी दुर्घटना का शिकार हो जाएं, यह कोई नहीं जानता। शहर के कई निजी विद्यालयों में छात्रों को ले आने व ले जाने के लिए खुद के वाहन रखे हुए हैैं। अधिकतर स्कूल ऐसे हैं, जो विभिन्न लोगों के वाहनों को भाड़े पर रखे हुए हैैं। स्कूल बच्चों को ले आने व ले जाने वाले वाहनों में मानक की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। अधिकांश वाहनों में अग्निशमन यंत्र व प्रथम उपचार तक के इंतजाम नहीं हैं। हादसा होने के बाद इसकी याद विद्यालय प्रबंधन व अधिकारियों को आती है। विद्यालयों में चलने वाले वाहन चालक मनमाने तरीके से बच्चों को बैठाते हैं। मानक भले ही आठ बच्चों को बैठाने की है, लेकिन वाहनों में 15 से 20 की संख्या में बच्चों को बैठाया जाता है। अभिभावक भी गंभीर नहीं होते हैं।

पेरेंट्स रखें ख्याल
1. स्कूली वाहन परिवहन विभाग से अधिकृत है या नहीं।
2. चालक का नाम पता और उसका मोबाइल नंबर गाड़ी पर अंकित होना चाहिए। यह जानकारी आप अपने पास भी नोट कर जरूर रखें।
3. जो ड्राइवर बच्चों को ढो रहा है, देख लें कि उसके पास वाहन चलाने का पांच साल का अनुभव है या नहीं।
4. गाड़ी में अग्निशमन यंत्र है या नहीं, इसकी जांच जरूरी है।
क्षमता से अधिक बैठाते हैं बच्चे
गाइड लाइन की शर्तों और नियमों को ताक पर रखकर अधिकांश वाहन चालक फिर से बच्चों की जिंदगी दाव पर लगाकर वाहन संचालित कर रहे हैं। नियमानुसार ऑटो में 5 से 7 बच्चों को बैठाने की हिदायत दी गई थी, लेकिन अधिकांश ऑटो चालक 10 से 12 बच्चों को बैठा रहे हैं। इसके अलावा न तो इन वाहन चालकों ने अपने वाहनों में सुरक्षा उपकरण लगावाए हैं और न ही जाली लगवाई गई है।

चेकिंग के लिए अधिकारियों की लगाई गई ड्यूटी

परिवहन विभाग राजधानी पटना समेत जिले भर के स्कूल बसों पर नकेल कसने की तैयारी में जुट गया है। स्कूली बसों में पैनिक बटन सहित 18 सुरक्षा मानकों की जांच करने के लिए अलग-अलग जोन में अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। मानकों की अनदेखी करने वाले बस मालिकों से जुर्माना वसूला जाएगा। पटना में खास अभियान के तहत इन बसों की जांच के लिए पांच टीमें बनाई गई हैं।

जांच अभियान में इन चीजों को देखा जा रहा

इस विशेष जांच अभियान के तहत स्कूल वाहनों पर स्कूल का नाम और पता, संपर्क नंबर अंकित है या नहीं, इसकी जांच होगी। इसके अलावा, किस स्कूल की कितनी बसें चल रही हैं, गाड़ी नंबर, वाहन स्वामित्व, फिटनेस वैधता की स्थिति, बीमा वैध है या नहीं, परमिट, प्रदूषण प्रमाण पत्र, जीपीएस के साथ पैनिक बटन की जानकारी अंकित है या नहीं, इसकी भी जांच की जाएगी। साथ ही, वाहन का रंग पीला है या नहीं, ऑन स्कूल ड्यूटी का बोर्ड लगा है या नहीं, स्पीड गर्वनर लगा है या नहीं, प्राथिमक उपचार पेटी, अग्निशमन यंत्र, आपातकालीन निकास द्वार, स्टाप हैंडल सहित कई बिंदुओं की जांच की जा रही है।