PATNA : नगर निगम का दावा है कि पटना में कोई प्यासा नहीं है। 2011 की जनगणना के अनुसार पटना की आबादी 16 लाख थी। वहीं निगम का मानना है कि वह 22 लाख लोगों को पानी मुहैया करा रहा है। जब हमने इस दावे की सच्चाई जांचने के लिए 75 वार्डो को स्कैन किया तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। कई वार्ड में लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। 50 फीसदी वार्डो में पानी की पाइप लाइन नहीं बिछी है। कई जलमीनार ऐसी है जो अब भी अधूरी पड़ी हैं। पड़ताल में पता चला है कि पटना में 8 लाख लोग प्यासे हैं। कई लोग निजी बोरिंग के भरोसे हैं तो कई लोग हैंडपंप का गंदा पानी पीने को मजबूर। आज पढि़ए प्यासे पटना की कहानी बताती दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की स्पेशल रिपोर्ट।

आधे वार्डो में पाइप लाइन नहीं

पड़ताल में पता चला कि प्रत्येक वार्ड के 50 फीसदी एरिया में पाइप लाइन ही नहीं बिछी है। ऐसे में लोग हैंडपंप, कुआं और निजी बोरिंग पर निर्भर है। लोगों को मजबूरी में पानी के लिए दूसरे वार्डो में जाना पड़ रहा है। वार्ड के लोगों का कहना है कि निगम ने हमारे लिए कुछ भी नहीं है। अगर सुविधाएं दी होती है आज बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना नहीं पड़ता।

पाइप लाइन न बिछने से यहां के लोग रह जाते हैं प्यासे

-वार्ड 22 ए, बी, सी

डेढ़ लाख आबादी

-वार्ड 21

करीब एक लाख आबादी

-वार्ड 25

50 हजार से अधिक

की आबादी

अभी तक अधूरी हैं सभी 18 जलमीनार

शहर में जलापूर्ति के लिए 18 स्थानों पर जल मीनार बनाए जाने थे। जिसके लिए बुडको को जिम्मेवारी दी गई लेकिन आजतक एक भी जलमीनार का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है। हाल में इन्हीं 18 में से तीन जलमीनार को आवश्यकत बताते हुए वाटर बोर्ड ने निगम की स्थाई समिति को प्रस्ताव दिया है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि जहां निगम के पास एक भी जलमीनार उपलब्ध नहीं है तो वह 22 लाख आबादी को पानी सप्लाई करने का दावा कैसे कर सकता है।

वाटर बोर्ड प्रतिदिन करीब 22 लाख लोगों के लिए जलापूर्ति कर रहा है। इस आबादी के लिए हर रोज 8 करोड़ 30 लाख 70 हजार गैलन पानी की सप्लाई हो रही है।

विनोद कुमार तिवारी, जेई, वाटर बोर्ड, पटना