-मामला जयप्रकाश यूनिवर्सिटी में राशि की बंदरबांट का

- निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने बढ़ाया जांच का दायरा

PATNA : जयप्रकाश यूनिवर्सिटी से संबद्ध आठ डिग्री कॉलेजों में करोड़ों के सरकारी अनुदान का जमकर बंदरबांट हुआ। कॉलेजों के प्रिंसिपलों और गवर्निंग बॉडी के पदाधिकारियों ने अपने नाते-रिश्तेदारों के बीच रेवडि़यां बांटी। किसी ने अपनी टीचर पत्नी को ही कॉलेज की टीचर बताकर लाखों रुपए का भुगतान कर दिया तो किसी ने कॉलेज में पढ़ाने के लिए ऐसे-ऐसे टीचर्स नियुक्त किए जो किसी डिग्री कॉलेज में पढ़ाने की पात्रता तक नहीं रखते।

टीचर बनने के बाद ली डिग्री

जांच कर रहे निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने जांच का दायरा बढ़ा दिया है। उन टीचर्स को भी अभियुक्तों में शामिल किया गया है जिन्होंने बिना पात्रता ही प्रिंसिपल, कॉलेज की गवर्निंग बॉडी और यूनिवर्सिटी के कुलसचिव और वित्त पदाधिकारी की मिलीभगत से राशि की बंदरबांट की है। सिवान के दारोगा प्रसाद राय डिग्री कॉलेज की जांच में निगरानी ने पाया कि यहां आधा दर्जन से अधिक ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने कॉलेज में टीचर के पद पर अपना योगदान पहले दिया था और स्नातकोत्तर की डिग्री बाद में ली।

इन टीचरों से होगी पूछताछ

इनकी पहचान कर ली गई है। ऐसे टीचर्स में संस्कृत की टीचर प्रो। नूतन कुमारी, इतिहास के प्रो। मनोज कुमार, इतिहास के ही सौमित्र कुमार और संजय यादव शामिल हैं। निगरानी की टीम जल्द ही इनसे पूछताछ करेगी। सारण के बनियापुर स्थित लोक महाविद्यालय के प्रिंसिपल वाल्मिकी ओझा ने तो हद ही कर दी। उन्होंने पटना में सरस्वती विद्या मंदिर में टीचर पत्नी सुधा ओझा को अपने कॉलेज की टीचर बताकर उनके नाम पर लाखों रुपए का भुगतान कर लिया।