पटना (ब्यूरो) फेफड़ों के कैंसर से जूझ रहे बीरेंद्र प्रसाद यादव (70) के लिए मुश्किलें तब और ज्यादा बढ़ गई थीं जब उन्हें लगातार छाती में दर्द होने लगा था.जांच में उनके हार्ट की नस में गंभीर कैल्सिफाइड ब्लॉकेज था जिसे तुरंत ठीक किया जाना जरूरी था। ऐसे में शहर के एक निजी हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने नई तकनीक इंट्रावैस्कुलर लिथोट्रिप्सी (आईवीएल) का इस्तेमाल करते हुए मरीज का ब्लॉकेज साफ ठीक करके उनकी जान बचाई। हॉस्पिटल के सीनियर इंटरवेंशन कार्डियोलॉजिस्ट डॉ। निशांत त्रिपाठी ने यह सफल केस किया।

-बायपास सर्जरी में था जोखिम
डॉ। निशांत त्रिपाठी ने बताया कि लगातार एंजाइना (छाती में दर्द) मरीज की 2डी इको जांच की गई जिसमें उनके हार्ट की नस में कैल्सिफाइड ब्लॉकेज जमा हुआ था। ऐसे केस में सामान्यत: बायपास सर्जरी की जाती है लेकिन उन्हें लंग्स कैंसर था। ऐसे में सर्जरी में जोखिम के कारण हमने एंजियोप्लास्टी के जरिए ही ब्लॉकेज को साफ करने का निर्णय लिया। करीब एक घंटे के प्रोसीजर में हमने आईवीएल तकनीक से नस में जमे कैल्शियम को साफ कर वहां स्टेंट लगा दिया।

-कैल्सिफाइड ब्लॉकेज को हटाने में बेहद कारगर नई तकनीक
अब तक कैल्सिफाइड ब्लॉकेज वाली आर्टरी में इंटरवेंशन से स्टेंटिंग कर पाना बहुत मुश्किल होता था क्योंकि स्टेंटिंग होने के बाद भी उसके फिर से बंद होने या वापस क्लॉटिंग होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। डॉ। अशोक ने बताया कि जिन मरीजों की हार्ट की नसों में कैल्सिफाइड ब्लॉकेज होता है उनके लिए इंट्रावस्कुलर लिथोट्रिप्सी से एंजियोप्लास्टी बेहद कारगर है.इसमें सोनोग्राफिक वेव से पहले कैल्शियम वाले ब्लॉकेज को तोड़ा जाता है और उसके बाद स्टेंट डाला जाता है। प्रोसीजर के कुछ दिनों बाद ही मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।