पटना (ब्यूरो)। नालंदा मेडिकल कालेज अस्पताल में टीबी की जांच व्यवस्था बुरी तरह चमरा गयी है। यहां के टीबी एवं छाती रोग विभाग में भर्ती तथा ओपीडी में आने वाले मरीज जांच के लिए यहां-वहां भटक रहे हैं। यहां की माइक्रोबायोलाजी लैब में मशीन खराब होने के कारण जांच बाधित है। मरीजों को कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है। गंभीर हो चुकी इस समस्या को लेकर विभागाध्यक्ष ने अधीक्षक को पत्र लिख कर जांच सुनिश्चित कराने की गुहार लगायी है।

माइक्रोस्कोपिक लैब में प्रयोगशाला प्रावैधिक का पद रिक्त

टीबी एवं छाती रोग विभाग के अध्यक्ष डा। सतीश चंद्रा ने अधीक्षक को लिखे पत्र की प्रतिलिपि एनएमसीएच की प्राचार्य एवं अगमकुआं स्थित यक्ष्मा केंद्र के अपर उपाधीक्षक सह सहायक अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी को भी दी है। उन्होंने पत्र में इस बात का उल्लेख किया है कि माइक्रोस्कोपिक लैब में प्रयोगशाला प्रावैधिक का पद रिक्त रहने के कारण लगभग एक वर्ष से बलगम जांच बंद है। माइक्रोबायोलाजी विभाग की लैब में जांच मशीन का चार में से तीन स्लैब खराब होने के कारण अपेक्षाकृत जांच नहीं हो पा रही है। विभागाध्यक्ष डा। सतीश चंद्र ने बताया कि ओपीडी के मरीजों को जांच के लिए यक्ष्मा केंद्र भेजा जा रहा है। माइक्रो बायोलाजी विभाग की ट्रूनेट मशीन का किट नहीं होने के कारण भी टीबी जांच बाधित है। विभागाध्यक्ष ने बताया कि ओपीडी से हर दिन औसतन बीस मरीजों को जांच के लिए भेजा जा रहा है। टीबीडीसी पर जांच का दबाव अधिक होने के कारण एनएमसीएच के मरीजों की रिपोर्ट मिलने में सप्ताहभर की देरी हो रही है।