- आबादी बढ़ी तो हर किसी को करना पड़ रहा है अनाज के लिए संघर्ष

PATNA : आबादी के दबाव ने लोगों के हिस्से का अनाज तक कम हो गया है। आलम ये है कि दो जून की रोटी के लिए भी लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। पटना के आंकड़ों पर गौर करें तो तो ऐसे परिवार की संख्या अधिक है जिन्हें अनाज के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। गांव से लेकर शहर तक हाल बेहाल है जिसके लिए जनसंख्या का बढ़ता दबाव ही जिम्मेदार है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट आपको बताने जा रहा है कि किस तरह से एक बड़ा हिस्सा पटना में सरकारी अनाज से वंचित रहा रहा है।

एक नजर आंकड़ों पर

- ख्0 लाख से अधिक है पटना की आबादी

- फ्.7ब् लाख - राशन कार्ड धारकों की संख्या

- 8भ्म् राशन की दुकान

- क्म् लाख यूनिट, लोगों को मिलता है अनाज

- आबादी पर होता नियंत्रण तो नहीं होती इतनी मुश्किल

आबादी पर नियंत्रण होता तो अनाज को लेकर इतनी मुश्किल नहीं होती। आबादी बढ़ने के कारण बहुत सारी ऐसी दिक्कत सामने आई है जिससे हर किसी को परेशानी होती है।

- घर में ही बट गया राशन

हर में ही परिवार का ग्राफ तेजी से बढ़ गया है। पटना में ऐसे अधिकतर परिवार हैं जिनमें परिवार की संख्या चार से अधिक है। ऐसे परिवारों की संख्या में ख्0 साल में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। जानकारों का कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जागरुकता का अभाव है और इसी कारण से समस्या हो रही है।