पटना (ब्यूरो)। बिहार की पूरी व्यवस्था ध्वस्त है। इसमें शिक्षा सबसे ऊपर है। अब तक सौ किलोमीटर से अधिक की पदयात्रा में ऐसा एक भी प्राइमरी, मिडिल, अपर प्राइमरी और प्लस-टू स्कूल नहीं मिला, जहां बिङ्क्षल्डग, शिक्षक और स्टूडेंट तीनों एक साथ हो। वह फंक्शनल (कार्यरत) हो। कुछ ऐसे स्कूल मिले, जहां एक भी शिक्षक नहीं हैं। दरअसल, जन सुराज पदयात्रा के 13वें दिन शुक्रवार को प्रशांत किशोर (पीके) ने नीतीश सरकार की शिक्षा व्यवस्था पर करारा प्रहार किया। सिकटा प्रखंड के बलथर खरसहवा में मीडिया से संवाद कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि मैं एक माह के अंदर भारत में सबसे बड़ा प्लेटफार्म खड़ा करने जा रहा हूं। क्राउड फंङ्क्षडग की व्यवस्था में जो भी लोग इसमें अपना आर्थिक योगदान देना चाहते हैं, वे दे सकेंगे।

पूरा जेनरेशन हो जाता है खराब
पीके ने कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि सरकार का इतिहास जब भी लिखा जाएगा, उसमें सबसे बड़ा दोष नीतीश कुमार का यह होगा कि पढ़े-लिखे व्यक्ति होने के बावजूद उनके शासनकाल में बिहार की शिक्षा व्यवस्था का पूरी तरह ध्वस्त हो जाना। यह उनके शासनकाल का सबसे बड़ा काला अध्याय होगा। कहा कि यदि सड़क खराब है तो संभव है कि दो-चार साल के बाद कोई अच्छी सरकार आए तो सड़क बन जाएगी, लेकिन जब शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त होती है तो पूरा का पूरा जेनरेशन खराब हो जाता है।

अफसरशाही और भ्रष्टाचार चरम पर
उन्होंने कहा कि पदयात्रा में लोगों की जो मुख्य समस्याएं सामने आई हैं, उनकी वजह सरकार की उदासीनता, अफसरशाही और भ्रष्टाचार का चरम पर होना है। चर्चित बलथर प्रकरण पर उन्होंने कहा कि डर के माहौल को प्रशासन और ग्रामीणों के बीच प्राथमिकता के आधार पर खत्म करने का प्रयास किया जाए। पीडि़त परिवार के सदस्य मिलकर एक समिति बनाएं और अपने प्रतिनिधि चुनें। इसके बाद प्रशासन और ग्रामीणों के बीच मध्यस्थता का रास्ता निकालें। ताकि, दोबारा ग्रामीण और प्रशासन के बीच विश्वास कायम हो सके। इसके बाद वे पदयात्रा के लिए निकल गए। इस क्रम में पीके बेहरा सिरसिया, सरगटिया, विशंभरा समेत आधा दर्जन गांवों में लोगों से मिले।