-राजगीर में तीन दिवसीय धम्म सम्मेलन का राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया शुभारंभ

क्चढ्ढ॥न्क्त्रस्॥न्क्त्रढ्ढस्नस्न/क्कन्ञ्जहृन्: मानव, प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा के लिए धम्म बेहद आवश्यक है। क्योंकि यह सिर्फ शांति ही नहीं, बल्कि रक्षा का पाठ भी पढ़ाता है। यह बातें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कही। उन्होंने कहा कि धर्म और धम्म की जरूरत पूरी दुनिया को है। चाहे वो किसी सम्प्रदाय के हो। उनका विश्वास धर्म और धम्म पर टिका है, क्योंकि यह आध्यात्मिकता का मुख्य स्त्रोत है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि धम्म ने पूरी दुनिया को शांति और अ¨हसा का संदेश दिया। आज पूरी दुनिया को फिर से धर्म और धम्म की जरूरत है। राष्ट्रपति गुरुवार को नालंदा के राजगीर स्थित अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन हॉल में आयोजित चौथे अंतरराष्ट्रीय धम्म सम्मेलन में बोल रहे थे। इस दौरान बिहार के गवर्नर सत्यपाल मलिक, सीएम नीतीश कुमार, डिप्टीसीएम सुशील मोदी, अंतरराष्ट्रीय नालंदा यूनिवर्सिटी की वीसी सुनैना सिंह, श्रीलंका के विदेश मंत्री तिलक मारापाना और भारत सरकार के पूर्वी जोन के विदेश सचिव प्रीतशरण के अलावा 11 देशों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

पुनर्निर्माण महत्वपूर्ण काल

तीन दिवसीय धम्म सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ को¨वद ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय नालंदा यूनिवर्सिटी की गौरव को फिर संजोने की जरूरत है। राष्ट्रपति ने कहा कि पूरी दुनिया को शिक्षा के प्रकाश से आलोकित करने वाले प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय हेरीटेज में शामिल किया जाना गौरव की बात है। यह विश्विविद्यालय हमारी गरिमा, हमारे गौरवशाली अतीत का प्रतीक है। इसका पुनर्निर्माण ज्ञान-जगत के लिए सबसे महत्वपूर्ण काल कहा जा सकता है।

राजगीर रहा है शांति का केंद्र

राष्ट्रपति ने कहा कि यह धरती सभी धर्मों का समागम स्थल रहा है। धर्म और धम्म के अर्थ में भले की सूक्ष्म अंतर है पर मंजिल मानवता ही है। इसलिए आज खत्म होती मानवीय मूल्यों को फिर से संजोना जरूरी है। राष्ट्रपति ने कहा कि राजगीर शुरू से ही शांति का केन्द्र रहा है। ऐसे में यह धरती वैश्विक समस्याओं के समाधान का बड़ा प्लेटफॉर्म कहा जा सकता है। राष्ट्रपति ने कहा कि आखिर हम क्यों न बुद्ध की शरण में फिर से लौट चलें।