जिस्म के बाजार में बैठा दिया

मेरा खर्च तो मेरा मामा ही नहीं उठा सकता और जिस्म के बाजार में बैठा दिया यह दर्द उस नेहा (बदला नाम) का है जिसे इस दुनिया के लोग कॉल गर्ल कहते हैं। उसके प्रेजेंट की चर्चा तो हर कोई मस्ती लेकर करता है मगर उसके बीत कल को कोई नहीं जानना  चाहता। आखिर क्यूं उसे जिस्म के बाजार में उतरना पड़ा।

जब कोई सहारा न हो तो

नेहा विक्रम की रहने वाली है। आज उसे लोगों की बातों का बुरा नहीं लगता। पहले कोई छेड़ भी दे तो आंखें निकल लेने की हिम्मत रखती थी। मगर मजबूरी ऐसी कि आज लोगों से नजरें मिलाने में भी डरती है। नेहा का एक फिक्स स्थान है, जहां वह आराम से मिल जाती है। लोग उससे फोन से भी कांटैक्ट करते हैं। अभी छोटी थी तभी मां और बाप दोनों का साया बारी-बारी से उठ गया। मामा दानापुर में रहता था। गांव के लोगो ने भी उसे मामा के पास ही जाने की सलाह दी। उसने माना भी और चली आई दानापुर। बड़ी होने के साथ ही उसकी मुश्किलें भी बढऩे लगीं। मामा की हरकतें ठीक नहीं थीं। उसे लगा कि अब वह इसके बल पर कमाई भी कर सकता है। जबरदस्ती उसे जिस्मफरोशी में उतारने लगा। इसका उसने काफी दिनों तक विरोध किया मगर कुछ दिनों में वह टूट गई। आखिर उसने वह सब करना शुरू कर दिया जो उसका मन कभी गंवारा नहीं करता।

कौन सुनेगा, किसको सुनाए

नेहा का कहना है कि अब कौन सुनेगा और किसको सुनाएंगे। खाने का राशन-पानी लेने के लिए भी कोई कागज नहीं है। अब तो ऐसा लगता है कि इसी धंधे में मर जाना है। जमीर बेचकर यह करते हैं। किसी को आपकी परेशानी से मतलब नहीं। नेहा शादी करना चाहती है लेकिन उसके दिल में यह डर है कि उसे कौन अपनाएगा। किसी से कुछ नहीं चाहिए लेकिन बातों से दर्द जरूर दिखता है। मानो उसकी नजर इस दुनिया से बार-बार कह रही हो, गिला तुमसे नहीं कोई मगर अफसोस थोड़ा है

दीदी बनकर तो कभी भाभी बनकर वे लड़कियों को बहलाती हैं